एशियाई जलपक्षी गणना
हाल ही में एशियाई जलपक्षी गणना (Asian Waterbird Census- AWC) 2023 के अनुसार, कुछ प्रवासी जलपक्षियों की आबादी, विशेष रूप से केरल के अलप्पुझा क्षेत्र में आने वाली बत्तख की प्रजातियों में गिरावट देखी गई है।
प्रमुख विलुप्त प्रजातियाँ:
- पिछले सर्वेक्षणों में देखी गई उत्तरी शोवेलर, कॉमन टील और यूरेशियन कबूतर जैसी बत्तख प्रजातियाँ इस बार पूरी तरह से गायब थीं।
- जलवायु परिवर्तन ने इस क्षेत्र में आने वाले पक्षियों की संख्या को प्रभावित किया है। हालाँकि पक्षी प्रवासन पर जलवायु परिवर्तन के सटीक प्रभाव के संदर्भ में अधिक विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है।
एशियाई जलपक्षी गणना (AWC):
- यह एक नागरिक-विज्ञान कार्यक्रम है जो विश्व भर में आर्द्रभूमि और जलपक्षी के संरक्षण एवं प्रबंधन का समर्थन करता है।
- AWC वैश्विक परियोजना ‘द इंटरनेशनल वॉटर बर्ड सेंसस प्रोग्राम’ का एक अभिन्न अंग है।
- इसका संचालन अफ्रीका, यूरोप, पश्चिम एशिया, नियोट्रोपिक्स और कैरिबियन में अंतर्राष्ट्रीय जलपक्षी गणना के अन्य क्षेत्रीय कार्यक्रमों के समानांतर होता है।
भारत में एशियाई जलपक्षी गणना
- एशियाई जलपक्षी गणना कार्यक्रम (Asian Waterbirds Census) का आयोजन प्रतिवर्ष जनवरी में एशिया और ऑस्ट्रेलिया के स्वयंसेवियों द्वारा अपने देश की आर्द्रभूमियों में जलपक्षियों की गणना के लिये किया जाता है।
- वैश्विक स्तर पर इसका संचालन ‘वेटलैंड्स इंटरनेशनल’ द्वारा किया जाता है, जबकि भारत में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) वेटलैंड्स इंटरनेशनल के सहयोग से इसका आयोजन करती है।
- इसकी शुरुआत वर्ष 1987 में हुई थी। इसका उद्देश्य जलपक्षियों तथा आर्द्रभूमियों की निगरानी करना है।
- द इंटरनेशनल वाटरबर्ड सेंसस’ (International Waterbird Census – IWC) के अभिन्न अंग के रूप में वैश्विक जलीय पक्षी निगरानी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
- यह कन्वेंशन ऑन माइग्रेटरी स्पीसीज़ (Convention on Migratory Species- CMS) और कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (Convention on Biological Diversity‘s- CBD) को लागू करने में भी मदद करता है।
स्रोत – द हिन्दू