एलिफेंट टास्क फोर्स की ‘गजह रिपोर्ट‘ में प्रस्तुत सिफारिशों पर केंद्र से जवाब
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हाथियों की सुरक्षा के लिए वैधानिक निकाय पर केंद्र से जवाब मांगा है।
वर्ष 2010 में, एलिफेंट टास्क फोर्स ने ‘गजह रिपोर्ट’ प्रस्तुत की थी । इस रिपोर्ट में हाथियों की आबादी को बचाने और संरक्षित करने के लिए कई सिफारिशें की गई थीं।
इन सिफारिशों में निम्नलिखित शामिल हैं:
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की तर्ज पर एक वैधानिक राष्ट्रीय हाथी संरक्षण प्राधिकरण (NECA) का गठन किया जाना चाहिए
एशियाई हाथियों (एलिफस मैक्सिमस ) के बारे में
यह वन्य जीवन और जैव विविधता के अस्तित्व में प्रमुख भूमिका निभाने वाली एक कीस्टोन प्रजाति है ।
इसकी संरक्षण स्थिति इस प्रकार है:
IUCN स्थिति: एनडेंजर्ड ।
प्रवासी प्रजातियों के कन्वेंशन के परिशिष्ट I में शामिल है।
वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध है ।
विदित हो कि एशियाई हाथियों की 60% से अधिक आबादी भारत में पाई जाती है।
एशियाई हाथियों से संबंधित चिंताएं:
लगातार मानव – हाथी संघर्ष तथा हाथियों की अप्राकृतिक तरीके से होने वाली मौतों की संख्या बहुत अधिक है।
दिसंबर 2022 तक (पिछले पांच वर्षों में) भारत में ट्रेन दुर्घटनाओं, करंट लगने, अवैध शिकार और जहर देकर मारने के कारण लगभग 494 हाथियों का अस्तित्व समाप्त हुआ है।
हाथियों की सुरक्षा के लिए शुरू की गई पहलें
वर्ष 1992 में प्रोजेक्ट एलिफेंट शुरू किया गया था। यह देश में वन्य जीवों और इनके पर्यावासों के प्रबंधन के लिए शुरू की गई एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
वर्ष 2010 में, हाथी को भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु घोषित किया गया था ।
केंद्र सरकार ने 33 हाथी रिज़र्व को मंजूरी दी है, जो लगभग 80,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत हैं।
वर्ष 2022 में, उत्तर प्रदेश में तराई हाथी रिज़र्व (TER) की स्थापना की गई थी ।
स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स