एरोसोल
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के एक नए विश्लेषण से पता चला है कि हिंदूकुश-हिमालय-तिब्बती पठार क्षेत्र में एरोसोल के स्तर में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है।
एरोसोल के संदर्भ में:
- एरोसोल वायुमंडल में निलंबित सूक्ष्म कण हैं।
- जब ये कण पर्याप्त रूप से बड़े होते हैं, तो हम उनकी उपस्थिति को तब नोटिस करते हैं, जब वे सूर्य के प्रकाश को बिखेरते और अवशोषित करते हैं। उनके सूर्य के प्रकाश के प्रकीर्णन से दृश्यता (धुंध) कम हो सकती है और सूर्योदय और सूर्यास्त लाल हो सकते हैं।
- एरोसोल अल्पकालिक होते हैं, ग्रीनहाउस गैसों के विपरीत जो लंबे समय तक वायुमंडल में बने रहते हैं और जमा होते रहते हैं।
- अधिकांश एरोसोल द्रव्यमान के हिसाब से लगभग 90% प्राकृतिक उत्पत्ति के हैं। उदाहरण के लिए, ज्वालामुखी हवा में राख के विशाल स्तंभ, साथ ही सल्फर डाइऑक्साइड और अन्य गैसें छोड़ते हैं, जिससे सल्फेट्स निकलते हैं।
- शेष 10% एरोसोल को मानवजनित या मानव निर्मित माना जाता है, और वे विभिन्न स्रोतों से आते हैं।
- ऑटोमोबाइल, भस्मक, स्मेल्टर और बिजली संयंत्र सल्फेट, नाइट्रेट, ब्लैक कार्बन और अन्य कणों के प्रचुर उत्पादक हैं।
- वनों की कटाई, अत्यधिक चराई, सूखा और अत्यधिक सिंचाई भूमि की सतह को बदल सकती है, जिससे धूल एरोसोल के वायुमंडल में प्रवेश करने की दर बढ़ जाती है। यहां तक कि घर के अंदर भी, सिगरेट, खाना पकाने के स्टोव, फायरप्लेस और मोमबत्तियाँ एरोसोल के स्रोत हैं।
एरोसोल का प्रत्यक्ष प्रभाव:
- एरोसोल पृथ्वी के विकिरण बजट और जलवायु के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क करते हैं।
- अलग-अलग एरोसोल अपने भौतिक गुणों के आधार पर अलग-अलग डिग्री तक सूर्य के प्रकाश को बिखेरते या अवशोषित करते हैं। हालाँकि अधिकांश एरोसोल सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करते हैं, कुछ इसे अवशोषित भी करते हैं।
- प्रकाश पर एरोसोल का प्रभाव मुख्य रूप से कणों की संरचना और रंग पर निर्भर करता है।
- शुद्ध सल्फेट और नाइट्रेट लगभग सभी विकिरणों को प्रतिबिंबित करते हैं, जिससे वातावरण ठंडा हो जाता है। इसके विपरीत, ब्लैक कार्बन विकिरण को आसानी से अवशोषित करता है, वातावरण को गर्म करता है लेकिन सतह को भी छायांकित करता है।
- आर्कटिक में, जंगल की आग और औद्योगिक प्रदूषण से निकलने वाले एरोसोल संभवतः बर्फ के पिघलने की गति बढ़ा रहे हैं।
एयरोसोल की महत्ता:
- एयरोसोल मिश्रित बादल धवल (Brighter) होने के कारण सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को अधिक मात्रा में अंतरिक्ष की तरफ परावर्तित करते हैं।
- इन नए कणों का निर्माण पृथ्वी की सतह के 40 प्रतिशत हिस्से को आच्छादित करता है। इसका आशय है कि एयरोसोल कण, ग्लोबल वार्म़िग के विपरीत पृथ्वी के तापमान को कम रखने में सहायक हैं।
- विषुवतीय क्षेत्रों में इन कणों का निर्माण तथा बदलों के गुणधर्म में इनके योगदान को समझना, हमें जलवायु मॉडलों को समझने तथा उनका विकास करने में मदद करेगा।
- CIRES के अध्ययन से पता चलता है कि सुदूर क्षेत्रों में जहाँ वायु साफ होती है, वहाँ बादलों के निर्माण में एयरोसोल कणों का प्रभाव अधिक होता है।
स्रोत – डाउन टू अर्थ