एरियल सीडिंग (वनीकरण में वृद्धि के लिए आकाश से बीजों का छिड़काव)

एरियल सीडिंग (वनीकरण में वृद्धि के लिए आकाश से बीजों का छिड़काव)

हाल ही में, मरुत ड्रोन (हैदराबाद स्थित एक स्टार्टअप) ने अपनी ‘हरा भरा पहल’ के माध्यम से पुनः वनरोपण की चुनौती से निपटने हेतु एरियल सीडिंग अभियान प्रारंभ किया है।

इससे पूर्व, हरियाणा वन विभाग ने वर्ष 2020 में एरियल सीडिंग तकनीक का उपयोग किया था। यह प्रयोग फरीदाबाद के अरावली क्षेत्र में हरित आवरण में वृद्धि करने के लिए किया गया था।

इसके अतिरिक्त, वर्ष 2015 में, आंध्र प्रदेश ने भी भारतीय नौसेना के हेलीकॉप्टरों का उपयोग करके एरियल सीडिंग कार्यक्रम आरंभ किया था।

एरियल सीडिंग वृक्षारोपण की एक तकनीक है। इसमें हवाई साधनों, यथा- विमान, हेलीकॉप्टर या ड्रोन का उपयोग कर पूर्व निर्धारित स्थान पर सीड बॉल्स (seed balls) की बौछार की जाती है। इन सीड बॉल्स में बीजों को मृदा, खाद, चारकोल तथा अन्य घटकों के साथ मिश्रित कर एक गेंद का आकार दिया जाता है।

बंजर क्षेत्र में बिखेरने के उपरांत, सीड बॉल्स के वर्षा होने पर घुलने और बीजों के अंकुरण के रूप में परिवर्तित होने की अपेक्षा की जाती है।

एरियल सीडिंग के लाभः

  • दुष्कर भूभागों या दुर्गम क्षेत्रों में वृक्षारोपण आसान हो जाता है। साथ ही, वनावरण को बढ़ाने में भी मदद मिलती है।
  • बीज के अंकुरण और वृद्धि की प्रक्रिया ऐसी होती है कि बिखेरने के उपरांत इस पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • यह मृदा में जुताई और गड्ढों की खुदाई करने कीआवश्यकता को समाप्त कर देता है।
  • परन्तु यह ध्यान रखना चाहिए कि चयनित प्रजातियां उच्चतरउत्तरजीविता प्रतिशत के साथ क्षेत्र की स्थानिक होनी चाहिए।

स्रोत – द हिन्दू

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