एम नागराज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस 2006

एम नागराज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस 2006

हाल ही में सर्वोच्च न्यायलय ने एम. नागराज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस 2006 में दिए गए निर्णय को लागू करने के संबंध में राज्यों द्वारा उठाए जा रहे विभिन्न मुद्दों को संकलित करने के लिए कहा है।

एम. नागराज मामला:

17 जून, 1995 को, संसद द्वारा अपनी विधायी क्षमता के तहत सतहत्तरवां संशोधन पारित किया गया। इस संशोधन के माध्यम से अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने हेतु संविधान के अनुच्छेद 16 में एक उपबंध (4A) संग्लन किया गया।

आरक्षण का संविधान में आधार:

संविधान का अनुच्छेद 335 यह मान्य करता है कि अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों को समान स्तर पर लाने के लिए विशेष उपाय किये जा सकते हैं।

इंदिरा साहिनी बनाम भारतीय संघ एवं एम. नागराज मामला:

  • 1992 में सर्वोच्च न्यायालय ने इंदिरा साहिनी बनाम भारतीय संघमामले में कहा इसमें कहा कि अनुच्छेद 16(4) के अंतर्गत आरक्षण मात्र सरकारी नौकरी में घुसने के समय दिया जा सकता है, न कि प्रोन्नति में।
  • प्रोन्नतियाँ पहले ही हो चुकी हैं, वे ज्यों की त्यों रहेंगी और इस न्याय-निर्णय के बाद पाँच वर्षों तक मान्य रहेंगी एवं व्यवस्था दी गई कि इन प्रोन्नतियों में क्रीमी लेयर को बाहर रखना अनिवार्य है।
  • परन्तु संसद ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को निष्प्रभावी करने के लिए जून 17, 1995 में अनुच्छेद 16 में 77वें संशोधन के माध्यम से उपवाक्य (4A) जोड़ दिया जिससे प्रोन्नति में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण मिल गया।

स्रोत – द हिन्दू

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course