राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन 2047 (NSCEM) का शुभारंभ
हाल ही में प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के शहडोल में ‘राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन 2047’ (NSCEM) का शुभारंभ किया, और लाभार्थियों को सिकल सेल आनुवंशिक स्थिति कार्ड वितरित किए हैं ।
NSCEM का उद्देश्य–
- NSCEM का उद्देश्य विशेष रूप से आदिवासी आबादी के बीच सिकल सेल रोग से उत्पन्न गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करना है।
- यह लॉन्च सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में 2047 तक सिकल सेल रोग को खत्म करने के सरकार के चल रहे प्रयासों का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
- केंद्रीय बजट 2023 में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन की घोषणा की गई थी।
- विदित हो कि वर्तमान में देश के 17 राज्य सिकल सेल एनीमिया से सर्वाधिक प्रभावित हैं जहाँ पर इस मिशन को लागू किया जायेगा । दुनिया में सिकल सेल एनीमिया के 50 प्रतिशत से अधिक मामले भारत में ही सामने आते हैं।
इस मिशन के उद्देश्य हैं:
- 2047 से पहले भारत में पब्लिक हेल्थ समस्या के रूप में सिकल सेल रोग को खत्म करने के लिए समुदाय में इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाना,
- सभी सिकल सेल रोगियों को सस्ती और सुलभ देखभाल उपलब्ध कराना, रोगियों के लिए देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और
- सिकल सेल के प्रसार को कम करना ।
सिकल सेल रोग (Sickle cell disease: SCD)
- सिकल सेल रोग (Sickle cell disease:SCD) वंशानुगत लाल रक्त कोशिका (red blood cells) से जुड़े विकारों का एक समूह है।
- स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं गोल होती हैं और वे शरीर के सभी भागों में ऑक्सीजन ले जाने वाली छोटी रक्त वाहिकाओं के माध्यम से संचारित हैं।
- आम तौर पर, लाल रक्त कोशिकाएं डिस्क के आकार की और इतनी लचीली होती हैं कि रक्त वाहिकाओं के माध्यम से आसानी से प्रवाहित होती है। यदि आपको सिकल सेल रोग है, तो आपकी लाल रक्त कोशिकाएं अर्धचंद्राकार या “सिकल” यानी दरांती आकार की होती हैं।
- ये कोशिकाएं आसानी से मुड़ती या हिलती नहीं हैं, और आपके शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकती हैं। इससे शरीर में रक्त की कमी हो जाती है। इसे ही एनीमिया या सिकल सेल एनीमिया कहते हैं।
- सिकल सेल रोग आजीवन रहने वाली बीमारी है। रक्त और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (bone marrow transplant) वर्तमान में सिकल सेल रोग का एकमात्र इलाज है, हालांकि कुछ ऐसे प्रभावी उपचार हैं जो लक्षणों को कम कर सकते हैं ।
स्रोत – पी.आई.बी.