हाल ही में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के अनुसार एनडीपीएस अधिनियम के तहत फॉरेंसिक रिपोर्ट, संबंधित मामलों का प्रमुख आधार है ।
एक महत्वपूर्ण पर्यवेक्षण में उच्च न्यायालय ने कहा कि फोरेंसिक रिपोर्ट के अभाव में अभियोजन पक्ष का पूरा मामला आधारहीन हो जाएगा।
स्वापक ओषधि और मन : प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 एनडीपीएस अधिनियम (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985: NDPS Act) के बारे में:
- एनडीपीएस अधिनियम स्वापक ओषधि (narcotic drug) या मनः प्रभावी (psychotropic substance) पदार्थ के कब्जे, खरीद, बिक्री, परिवहन और उपभोग आदि को दंडित करता है।
- एनडीपीएस अधिनियम स्वापक ओषधि को कोका पत्ती (coca leaf), कैनाबिस (भांग), अफीम, पोस्त तृण के व्युत्पाद/सांद्र और केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य स्वापक ओषधि के रूप में परिभाषित करता है।
- ध्यातव्य है कि वैज्ञानिक या औषधीय प्रयोजनों के लिए ऐसे पदार्थों के किसी भी उपयोग को अधिनियम की कठोरता से छूट प्रदान की गई है।
- दंड की मात्रा पाए जाने वाले पदार्थों की मात्रा पर निर्भर करती है।
- इस अधिनियम के अंतर्गत जब तक आरोपी अपराध में अपनी गैर-संलिप्तता सिद्ध नहीं कर देता, तब तक यह माना जाता है कि आरोपी ने अपराध किया है।
- एनडीपीएस अधिनियम के तहत दंडनीय प्रत्येक अपराध संज्ञेय प्रकृति का है, अर्थात अधिकारी बिना वारंट के व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं। ज्ञातव्य है कि एनडीपीएस के के तहत एक अधिकार के रूप में जमानत की मांग नहीं की जा सकती।
- स्वापक ओषधि या मनः प्रभावी पदार्थ के उपभोग या इसकी अल्प मात्रा से संबंधित अपराधों के दोषी व्यसनी स्वेच्छा से नशा-मुक्ति करने या नीरव्यसन उपचार में शामिल होने पर अभियोजन से उन्मुक्त होगा।
स्रोत – द हिन्दू