शिक्षा प्रौद्योगिकी (एड-टेक) प्लेटफॉर्स के विनियमन के लिए परामर्शिका जारी
हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षा प्रौद्योगिकी (एड-टेक) प्लेटफॉर्स के विनियमन के लिए परामर्शिका जारी की है ।
यह कदम स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग में विभिन्न शिकायतों की पृष्ठभूमि में उठाया गया है।
- इन शिकायतों में मंत्रालय को यह सूचित किया गया है कि कुछ एड-टेक कंपनियां अभिभावकों को निःशुल्क सेवाओं का प्रस्ताव देकर प्रलोभित कर रही हैं।
- इस परामर्शिका में भुगतान के लिए स्वचालित डेबिट विकल्प को नहीं चुनना, ऋण के लिए साइन करना और क्रेडिट या डेबिट कार्ड पंजीकरण को नहीं चुनना आदि शामिल हैं।
- इसके अलावा, इसने किसी भी एड-टेक प्लेटफॉर्म का उपयोग करने से पहले शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रज्ञाता (PRADYATA) दिशा-निर्देशों में उल्लिखित बाल सुरक्षा दिशा-निर्देशों को पढ़ने व उनका अनुपालन करने का सुझाव भी दिया है।
- एड-टेक एक अधिक आकर्षक, समावेशी और व्यक्तिगत अधिगम अनुभव के लिए कक्षा में सूचना तकनीकी उपकरण प्रस्तुत करने का विकल्प है।
- यह ‘डायरेक्टटू द डिवाइस’ मॉडल का उपयोग करके व्यापकता और गति को सक्षम बनाता है।
- यह भौगोलिक बाधाओं को समाप्त करता है। इससे छात्रों को शीर्ष संस्थानों से उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलती है।
- भारत में एडटेक (Ed-Tech) में 4,500 से अधिक स्टार्टअप सक्रिय हैं।
एड-टेक (Ed-Tech) उद्योग के विनियमन कीआवश्यकताः
- एड-टेक कंपनियों द्वारा डेटा संग्रह, भंडारण, प्रसंस्करण और संभावित मुद्रीकरण जैसे पहलुओं पर स्पष्टता की कमी है।
- अनधिकृत लोगों और समूहों द्वारा इस संवेदनशील डेटा के दुर्भावनापूर्ण उपयोग के परिणामस्वरूप सोशल-इंजीनियरिंग, वित्तीय अपराध और धोखाधड़ी, साइबर धमकी, उपयोगकर्ता ट्रैकिंग, पहचान की चोरी आदि अपराध हो सकते हैं।
- एड-टेक कंपनियों की गोपनीयता नीतियां अनिश्चित और अस्पष्ट हैं।
एड-टेक उद्योग से संबंधित सामाजिकऔर नैतिक चिंताएं
- पक्षपात आधारित कंटेंट का वितरण,
- करियर के निर्णयों पर निहित प्रभाव,
- शिक्षकों के कौशल विकास और पुनः कौशल प्रदान करनेके कम प्रयास करना
- विनियामक अनुमोदन के बिना कंटेंट का मानकीकरणऔर मॉडरेशन।
स्रोत – द हिन्दू