हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) ने “एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग पर राष्ट्रीय रणनीति” (NSAM) जारी की है ।
मंत्रालय द्वारा जारी इस रणनीति के निम्नलिखित प्रमुख लक्ष्य हैं:
- वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 1 बिलियन डॉलर की वृद्धि करना।
- वैश्विक एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग (AM) में भारत की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 5 प्रतिशत करना।
- सामग्री, मशीन और सॉफ्टवेयर के लिए 50 भारतीय एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग प्रौद्योगिकियां विकसित करना।
- 100 नए स्टार्टअप्स, 500 नए उत्पाद तथा 1 लाख कुशल कर्मी तैयार करना।
एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग पर राष्ट्रीय रणनीति के निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य हैं:
- एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के विकास और उपयोग के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना।
- भारत की एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग संबंधी बौद्धिक संपदा का सृजन एवं संरक्षण सुनिश्चित करना।
- घरेलू बाजार की आयात पर निर्भरता को कम करना।
- मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करना।
एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के संभावित प्रभाव
- यह कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला की जगह ले सकता है।
- इससे कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही, ऊर्जा सुरक्षा में भी वृद्धि होगी।
- उत्पाद में विविधता को बढ़ावा मिलेगा और विनिर्माण के क्रम में डिजाइन में लचीलापन भी सुनिश्चित हो सकेगा।
- जटिल रोगी-विशेष रिलीज़ प्रोफाइल हेतु दवाओं को वैयक्तीकृत (personalization) बनाकर रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा मिलेगा।
- लॉजिस्टिक संबंधी चुनौतियों को कम करके सैन्य आपूर्ति श्रृंखला के रूपांतरण में मदद मिलेगी।
- एडिटिव विनिर्माण या 3D प्रिंटिंग के तहत वस्तुओं के आद्यरूप (prototype) या क्रियाशील मॉडल्स बनाने के लिए कंप्यूटर-एडेड डिजाइनिंग का उपयोग किया जाता है।
- इस प्रक्रिया के तहत प्लास्टिक, रेजिन, थर्मोप्लास्टिक, धातु, फाइबर या सिरेमिक जैसी सामग्रियों की क्रमिक परतें जमाते हुए वांछित वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।
स्रोत –द हिन्दू