स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया 2021
हाल ही में यूनेस्को द्वारा ‘2021 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया: नो टीचर, नो क्लास’ को प्रकाशित किया गया है।
इस रिपोर्ट का तीसरा संस्करण शिक्षक, शिक्षण और शिक्षक शिक्षा के विषय पर केंद्रित है।
प्रमुख निष्कर्ष
शिक्षकों की स्थिति: 9.7 मिलियन शिक्षकों में से लगभग 50% सरकारी क्षेत्र में कार्यरत हैं, और इनमें से लगभग 50% महिलाएं हैं।
एकल-शिक्षक विद्यालय: राष्ट्रीय स्तर पर, 7% स्कूल एकल-शिक्षक विद्यालय हैं। कुछ राज्यों में 16% (गोवा और तेलंगाना) एकल-शिक्षक विद्यालय हैं। लगभग सभी एकल शिक्षक विद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं।
प्रतिधारण दर: प्रारंभिक विद्यालयों के लिए सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio: GER) वर्ष 2019-2020 (वर्ष 2001 में 81.6) में 102.1 होते हुए भी वर्ष 2019-2020 में प्रारंभिक शिक्षा के लिए समग्र प्रतिधारण दर 74.6% और माध्यमिक शिक्षा के लिए 59.6% ही रही है।
डिजिटल अवसंरचना की कमी: संपूर्ण भारत में विद्यालयों में कंप्यूटिंग उपकरणों (डेस्कटॉप या लैपटॉप) की कुल उपलब्धता 22% और विद्यालयों में इंटरनेट की पहुंच मात्र 19% है।
संबंधित विकास में, शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल संरक्षा और सुरक्षा पर दिशा-निर्देश (Guidelines on School Safety and Security)’ जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों को उच्चतम न्यायालय के आदेश के उपरांत एक विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार किया गया है।
इन दिशा-निर्देशों में लापरवाही की विभिन्न श्रेणियों की पहचान की गई है, जिनके लिए विद्यालय प्रशासन को जवाबदेह ठहराया जाएगा।
भारत में शिक्षण पेशे के समक्ष आने वाली चनौतियों का समाधान करने के लिए अनुशंसाएं–
- सरकारी और निजी दोनों प्रकार के स्कूलों में शिक्षकों की नियोजन संबंधी शती में सुधार करना चाहिए।
- पूवीत्तर राज्यों, ग्रामीण क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों में शिक्षकों की संख्या को बढ़ाना तथा उनके कार्य करने की स्थितियों में सुधार करना चाहिए।
- शिक्षकों को अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता के रूप में चिन्हित करना चाहिए।
- शारीरिक शिक्षा, संगीत, कला, व्यावसायिक शिक्षा, बाल्यावस्था के आरंभिक वर्षों से संबंधित और विशेष शिक्षा शिक्षकों की संख्या में वृद्धि करने की आवश्यकता है।
स्रोत – द हिन्दू