एक साथ चुनाव कराने हेतु समिति गठित
हाल ही में विधि आयोग की समिति एक साथ चुनाव कराने की संभावनाओं की जांच करेगी।
संसद और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर एक व्यावहारिक रोडमैप तथा फ्रेमवर्क तैयार करने की जिम्मेदारी विधि आयोग को सौंपी गई है।
एक साथ चुनाव कराने का अर्थ भारतीय चुनाव चक्र को इस तरह से व्यवस्थित करना है कि लोक सभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ संपन्न हो जाएं।
इस व्यवस्था के तहत एक विशेष निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता एक ही दिन लोक सभा और राज्य विधानसभा दोनों के लिए मतदान करते हैं।
एक साथ चुनाव कराने का महत्व–
- सत्ताधारी दलों को लगातार चुनावी परिवेश में रहने की बजाय शासन पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।
- मतदाता प्रतिशत बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- एक साथ चुनाव कराने से अलग-अलग चुनाव कराने पर होने वाले व्यापक खर्च को कम किया जा सकता है।
- सरकारी नीतियों का समय पर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकता है। इसके अलावा, प्रशासनिक तंत्र को चुनाव कार्यों में व्यस्त करने की बजाय विकासात्मकगतिविधियों में लगाया जा सकता है।
एक साथ चुनाव कराने से जुड़ी चिंताएं–
- एक साथ चुनाव कराने से मतदाताओं का निर्णय प्रभावित होता है, क्योंकि राष्ट्रीय मुद्दे और राज्य के मुद्दे अलग-अलग होते हैं।
- इससे लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेही कम होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि बार-बार चुनाव कराने से राजनेताओं को मतदाताओं के पास वापस जाना होता है। इससे जनता के प्रति राजनेताओं की जवाबदेही बढ़ती है।
- चुनाव संचालन प्रक्रिया से जुड़ी चिंता भी है। जैसे कि यदि सत्ताधारी दल/ गठबंधन 5 वर्ष पूरे होने से पहले बहुमत खो देता है, तो ऐसी स्थिति में सारे चुनाव एक साथ कैसे कराये जा सकते हैं।
- इससे आम जन-जीवन में बाधा पैदा हो सकती है।
- आवश्यक सेवाओं का संचालन प्रभावित हो सकता है।
स्रोत –द हिन्दू