एक भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic storm) पृथ्वी से टकराया
हाल ही में, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के आवरण में बनी एक दरार से सौर पवन पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर गई। इससे G l-श्रेणी का भू-चुंबकीय तूफान ( GMS) पैदा हुआ है।
- सौर पवनों के साऊथ पॉइंटिंग मैग्नेटिक फील्ड्स ने पृथ्वी के चुम्बकीय सुरक्षा आवरण को कमजोर कर दिया था। इसके कारण यह दरार उत्पन्न हुई है।
- GMS पृथ्वी के चुंबकीय मंडल (मैग्नेटोस्फीयर) में एक विक्षोभ है। चुंबकीय मंडल पृथ्वी के चारों ओर का वह क्षेत्र है, जो उसके चुंबकीय क्षेत्र द्वारा नियंत्रित होता है।
- पृथ्वी का चुंबकीय मंडल पृथ्वी को सूर्य द्वारा उत्सर्जित अधिकतर कणों से बचाता है ।
- यह पृथ्वी के आसपास के अंतरिक्ष में सौर पवनों के माध्यम से ऊर्जा के बड़े पैमाने पर विनिमय के कारण घटित होता है ।
- GMS को G1 और G5 के बीच वर्गीकृत किया गया है। G5 सबसे प्रबल भू-चुंबकीय तूफान होते हैं ।
GMS के प्रभाव–
- ये चमकदार रेड ऑरोरा का निर्माण करते हैं । ये ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) जैसी नेविगेशन सिस्टम को बाधित करते हैं।
- इसके अलावा, ये पावर ग्रिड और पाइपलाइन्स में हानिकारक भू-चुंबकीय प्रेरित धाराएं (GICs) उत्पन्न करते हैं।
- ये उपग्रह की इलेक्ट्रॉनिक संरचना को नुकसान पहुंचाते हैं। साथ ही, अंतरिक्ष यात्रियों और अधिक ऊंचाई पर उड़ने वाले विमानों के पायलट्स को अधिक विकिरण के प्रभाव में लाते हैं ।
- रेड ऑरोरा तब उत्पन्न होते हैं, जब सौर कण अधिक ऊंचाई पर (सामान्यतः 150 मील से ऊपर) ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करते हैं।
- इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन की सांद्रता कम होती है । इस प्रकार कम ऊंचाई पर मौजूद सघन ऑक्सीजन की तुलना में इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन उच्च आवृत्ति या उच्च तरंग दैर्ध्य पर उत्तेजित होती है। इससे लाल रंग दिखाई देने लगता है ।
स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स