एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) मिशन

एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) मिशन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो / ISRO) एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) बनाने के लिए रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI), बेंगलुरु के साथ सहयोग कर रहा है। इसे इसी वर्ष के अंत में प्रक्षेपित किया जाएगा।

  • XPoSat चरम स्थितियों में चमकीले खगोलीय एक्स-रे स्रोतों की विविध गतिकियों का अध्ययन करने वाला भारत का पहला समर्पित पोलरिमीटर (ध्रुवनमान) मिशन है।
  • यह विश्व का दूसरा पोलरिमीटर मिशन है। विश्व का पहला पोलरिमीटर मिशन नासा का इमेजिंग एक्स-रे पोलरिमीटर एक्सप्लोरर (IXPE) है।

XPoSat

XPoSat अपने साथ निम्न भू कक्षा में निम्नलिखित दो वैज्ञानिक पेलोड लेकर जाएगाः

  • POLIX (पोलरिमीटर इंस्ट्रूमेंट इन एक्स-रे): यह प्राथमिक पेलोड है। यह प्रत्येक 8–30 keV (किलो इलेक्ट्रॉन वोल्ट) की ऊर्जा सीमा में पोलरिमेट्री मापदंडों (पोलराइजेशन की डिग्री और कोण) को मापेगा। यह पोलरिमेट्री मापन के प्रति समर्पित मध्यम एक्स-रे ऊर्जा बैंड में पहला पेलोड है।
  • XSPECT (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी एंड टाइमिंग):पेलोड यह पेलोड 8-15 keVकी ऊर्जासीमा में स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी प्रदान करेगा, जैसे कि पदार्थों द्वारा प्रकाश को कैसे अवशोषित और उत्सर्जित किया जाता है। यह एक्स-रे के विविध प्रकार के स्रोतों, जैसे- एक्स-रे पल्सर्स, ब्लैक होल बायनेरिज, कम – चुंबकीय क्षेत्र वाले न्यूट्रॉन तारे आदि का पर्यवेक्षण करेगा।

पोलरिमेट्री

  • पोलरिमेट्री, प्रकाश के पोलराइजेशन (ध्रुवीकरण) को मापने की एक तकनीक है।
  • यह एक ऐसा उपकरण है, जो खगोलविदों को गतिमान धूमकेतु से लेकर सुदूर आकाशगंगाओं जैसे खगोलीय पिंडों के बारे में जानकारी की व्याख्या करने में मदद करताहै।
  • पोलराइजेशन विद्युतचुंबकीय स्पेक्ट्रम के सभी तरंगदैर्ध्वो में देखा जाता है।
  • यह सीमा में स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी प्रदान करेगा, जैसे कि पदार्थों द्वारा प्रकाश को कैसे अवशोषित और उत्सर्जित किया जाता है।
  • यह एक्स-रे के विविध प्रकार के स्रोतों, जैसे- एक्स-रे पल्सर्स, ब्लैक होल बायनेरिज, कम – चुंबकीय क्षेत्र वाले न्यूट्रॉन तारे आदि का पर्यवेक्षण करेगा।

एक्स किरणों (X rays) के बारे में

एक्स-किरणों के पास पराबैंगनी प्रकाश की तुलना में बहुत अधिक ऊर्जा और बहुत छोटा तरंग दैर्ध्य होता है । एक्स-रे का तरंग दैर्ध्य बहुत छोटा, अर्थात् 0.03 से 3 नैनोमीटर के बीच होता है ।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस

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