एकीकृत सौर ड्रायर और पायरोलिसिस पायलट प्लांट का शिलान्यास
हाल ही में, चेन्नई मेंएकीकृत सौर ड्रायर और पायरोलिसिस पायलट (Integrated Solar Dryer and Pyrolysis pilot) प्लांट का शिलान्यास किया गया है।
यह पायलट प्लांट ‘पायरासोल’ (इंडो-जर्मन परियोजना)का एक हिस्सा है, जिसको स्मार्ट शहरों के जैविक कचरे को बायो उपचार और ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए लगाया गया है।
‘पायरासोल’ प्रोजेक्ट, इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर द्वारा सीएसआईआर-सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएलआरआई) को प्रदान किया गया है ।
यह पायलट प्लांट भारतीय स्मार्ट शहरों के ‘सीवेज मलवा’ या ‘सीवेज स्लज’(SS) और ‘फैब्रीस ऑर्गेनिक वेस्ट’ (FOW) का एक साथ प्रसंस्करण कर प्रौद्योगिकी विकास के साथ ऊर्जा प्रदान करेगा और ग्लोबल वार्मिंग को कम कर स्वच्छतापूर्ण पर्यावरण को बढ़ावा देगा ।
‘पायरासोल’ प्रोजेक्ट के बारे में:
- यह परियोजना भारतीय स्मार्ट शहरों के साथ-साथ अन्य शहरी केंद्रों में एकीकृत और संवादात्मक दृष्टिकोण के साथ शहरी कचरे के संग्रह, उपचार और निपटान प्रणालियों के प्रबंधन पर केन्द्रित है।
इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर (IGSTC)
- भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और जर्मन सरकार द्वारा इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर (IGSTC) की स्थापना की गई थी।
- इसका उद्देश्य भारत और जर्मनी की अनुसंधान और प्रौद्योगिकी नेटवर्किंग का उपयोग करते हुए अनुप्रयुक्त अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास एवं उद्योग में भागीदारी की सुविधा प्रदान करने पर जोर देना है।
- इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटरअपने प्रमुख कार्यक्रम ‘2+2 परियोजनाओं’ के माध्यम से, भारत और जर्मनी से अनुसंधान और अकादमिक संस्थानों एवं सार्वजनिक/निजी उद्योगों की क्षमता को समन्वित करके नवाचार केंद्रित अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को उत्प्रेरित करता है।
स्रोत – पी आई बी