“एकीकृत पादप पोषण प्रबंधन (IPNM) विधेयक 2022” प्रस्तुत
हाल ही में सरकार ने प्रारूप “एकीकृत पादप पोषण प्रबंधन” (IPNM) विधेयक 2022 प्रस्तुत किया है ।
इस विधेयक के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- इसका उद्देश्य संतुलित उर्वरकों के विकास और सतत उपयोग को बढ़ावा देना है। इसमें जैव-उर्वरक, बायो स्टिम्युलेट्स, नैनो-उर्वरक और कार्बनिक उर्वरकों का विकास शामिल है।
- इससे पर्यावरण और मृदा के स्वास्थ्य की गुणवत्ता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किए बिना भारत की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा को बनाए रखा जा सकेगा।
- उर्वरकों के निर्माण, उत्पादन, वितरण और मूल्य प्रबंधन की प्रक्रिया को सरल बनाना है। इससे व्यवसाय करने की सुगमता में सुधार होगा। साथ ही, उच्च उपज वाली और जलवायु स्मार्ट कृषि प्रणालियों में अनुसंधान एवं नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा।
विधेयक की प्रमुख विशेषताएं
- एकीकृत पादप पोषण प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी। इस प्राधिकरण को उर्वरक निर्माताओं के पंजीकरण को विनियमित करने, उर्वरकों की गुणवत्ता के संबंध में तकनीकी मानकों को निर्धारित करने आदि का कार्यभार सौंपा जाएगा।
- केंद्र सरकार उर्वरकों का अधिकतम मूल्य तय कर सकती है। इससे उर्वरकों का समान वितरण और उचित मूल्य पर इनकी उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
- कोई भी व्यक्ति उपयुक्त पंजीकरण प्राप्त किए बिना उर्वरकों के निर्माण, विक्री, विक्रय के लिए आयात या विपणन नहीं कर सकता है।
- केन्द्र सरकार नियम बनाकर उर्वरकों को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने के तरीके निर्धारित कर सकती है।
- उर्वरकों के सभी आयातों का विनियमन किया जायेगा।
विधेयक से जुड़ी चिंताएं:
- यह सभी उर्वरकों को विनियमित करने का प्रयास करता है। इसमें “अमृतपानी जैसे पारंपरिक रूप से उपयोग किए जाने वाले उर्वरक भी शामिल हैं। यह कदम पारंपरिक कृषक समुदायों में असंतोष पैदा कर सकता है।
- फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर (FCO) और फर्टिलाइजर मूवमेंट ऑर्डर (FMO) के कुछ प्रावधानों को रखने से भ्रम उत्पन्न होगा। यह नवाचार को बाधित करेगा। इससे उर्वरक क्षेत्र में लाइसेंस और इंस्पेक्टर राज की वापसी की भी संभावना है।
स्रोत –द हिन्दू