एकता की मूर्ति (एकात्मता की मूर्ति)
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर की 108 फीट ऊंची बहुधातु से निर्मित एकात्मता की मूर्ति का अनावरण किया गया। ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में अवस्थित है।
मुख्य बिंदु:
- ‘एकात्मता की मूर्ति’ 12 वर्ष के किशोर शंकर की 108 फीट ऊंची बहु-धातु प्रतिमा है, जिसमें कमल के आकार का 16 फीट ऊंचे पत्थर से बना आधार है|
- इस प्रतिमा में 45 फीट ऊंचा पत्थर का ‘शंकर स्तम्भ’ लगाया है, जिस पर आचार्य शंकर की जीवन यात्रा को दर्शाया गया है।
- इस मूर्ति के निर्माण में 250 टन से 316L ग्रेड की स्टेनलेस स्टील का उपयोग हुआ है। साथ ही इसमें, 100 टन मिश्र धातु कांसे का, 88 टन तांबे का, 4 टन जस्ते का और 8 टन टिन के मिश्रण का प्रयोग किया गया है।
- इस प्रतिमा का जीवनकाल लगभग 500 वर्षों का है। इस मूर्ति में 12 वर्षीय किशोर आचार्य शंकर के भाव जीवंत रूप से दिखाई पड़ेंगी, जो जन मानस में एकात्म भाव का संचार करते हुए, लोगों के जीवन को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करेगी।
एकता की मूर्ति (एकात्मता की मूर्ति) ओंकारेश्वर में ही क्यों?
- बाल शंकर गुरु की खोज में नर्मदा नदी के किनारे चलते-चलते ओंकारेश्वर आये और यहीं पर उन्होंने गोविन्द भगवदपाद से गुरु शिक्षा ली| यहाँ 3 वर्ष रहकर शिक्षा ग्रहण किया|
- आचार्य शंकराचार्य द्वारा नर्मदाष्टकम की रचना ओंकारेश्वर में की गई|
आदि शंकराचार्य के बारे में:
- शंकराचार्य का जन्म 788 ई. में दक्षिण भारत के केरल में अवस्थित ‘कालडी़ ग्राम’ में हुआ था। उनकी माता का नाम अर्याम्बा तथा पिता का नाम शिव गुरु था|
- शंकराचार्य 33 वर्ष की आयु मेंकेदार तीर्थ पर समाधि ली।
- वहशिव के भक्त थे।
- उनके द्वारा स्थापित ‘अद्वैत वेदांत सम्प्रदाय’ 9वीं शताब्दी में काफ़ी लोकप्रिय हुआ।
- शंकराचार्य बौद्ध दर्शन के विरोधी थे।
- इन्होंने सनातन धर्म के प्रचार के लिये भारत के चारों दिशाओंशृंगेरी, पुरी, द्वारका और बद्रीनाथ में चार मठों की स्थापना की|
- इनकी प्रमुख रचनाएँ ब्रह्मसूत्रभाष्य (ब्रह्मसूत्र पर भाष्य), भजगोविंद स्तोत्र, निर्वाण षटकम्प्रा तथा करण ग्रंथ है|
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस