ऊर्जा बायोमेथेनेशन परियोजनाओं के लिए ब्याज अनुदान योजना

ऊर्जा बायोमेथेनेशन परियोजनाओं के लिए ब्याज अनुदान योजना

हाल ही में, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने ऊर्जा बायोमेथेनेशन परियोजनाओं के लिए ब्याज अनुदान योजना आरंभ की है ।

  • संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) और भारत सरकार के नवीनएवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility: GET) द्वारा वित्त पोषित ऋण-ब्याज अनुदान योजना आरंभ की है। यह योजना औद्योगिक जैविक अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन की नवोन्मेषी बायोमीथेनेशन परियोजनाओं और व्यवसाय मॉडल के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
  • औद्योगिक अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन करने वाली बायोमेथेनेशन परियोजनाओं के लिए साधारणतः अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, इन परियोजनाओं की परिचालन लागत भी अधिक होती है। इसमें अपशिष्ट कीउपलब्धता एवं राजस्व-सृजन भी एक चुनौती है।
  • वर्ष 1992 के रियो पृथ्वी सम्मेलन के दौरान स्थापित GEF सबसे बड़ा बहुपक्षीय ट्रस्ट फंड है। यह विकासशील देशों को प्रकृति में निवेश करने में सक्षम बनाता है। साथ ही, प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण अभिसमयों के कार्यान्वयन का समर्थन भी करता है।
  • वेबिनार के दौरान जैविक अपशिष्ट के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) आधारित इन्वेंट्री उपकरण का भी अनावरण किया गया।
  • यह उपकरण संपूर्ण भारत में उपलब्ध शहरी और औद्योगिक जैविक अपशिष्ट तथा उनकी ऊर्जा उत्पादन क्षमता से संबंधित जिला स्तर के अनुमान प्रदान करेगा।
  • MNRE अपशिष्ट से ऊर्जा की पुनः प्राप्ति हेतु परियोजनाओं की स्थापना के लिए उपलब्ध सभी प्रौद्योगिकीय विकल्पों को प्रोत्साहन प्रदान कर रहा है। ज्ञातव्य है कि यह ऊर्जा नवीकरणीय प्रकृति आधारित कृषि, औद्योगिक और शहरी अपशिष्ट जैसे नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, सब्जियां और अन्य बाजारों द्वारा उत्पादित अपशिष्ट से बायोगैस अथवा बायोसी.एन.जी. (Bio CNG) एवं विद्युत के रूप में प्राप्त की जा रही है।

अपशिष्ट से ऊर्जा (Waste-to-Energy) उत्पादन प्रौद्योगिकियां

  • बायोमेंथेनेशन : कार्बनिक पदार्थों के अवायवीय (मुक्त ऑक्सीजन के बिना) अपघटन से वे बायोगैस में परिवर्तित हो जाते हैं। इसमें अधिकतर मीथेन (लगभग 60%),CO2 (लगभग 40%) और अन्य गैसें होती हैं।
  • भष्मीकरण :ऊष्मा की प्राप्ति के लिए अपशिष्ट (नगरपालिका ठोस अपशिष्ट या अवशेष व्युत्पन्न ईंधन) का पूर्ण दहन। इससे वाष्प का उत्पादन होता है। यह वाष्प, वाष्प-संचालित टरबाइन के माध्यम से विद्युत का उत्पादन करती है।
  • गैसीकरण :सिंथेटिकगैस (कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और हाइड्रोजन (H2) का मिश्रण) का उत्पादन करने के लिए अपशिष्ट को विघटित करने हेतु सीमित मात्रा में ऑक्सीजन की उपस्थिति में उच्च तापमान (500-1800 डिग्री सेल्सियस) का उपयोग किया जाता है।
  • ताप विघटन : इसमें ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में दहनशील पदार्थों को विघटित करने के लिए, दहनशील गैसों (मुख्य रूप से मीथेन, जटिल हाइड्रोकार्बन, हाइड्रोजन और कार्बन मोनोऑक्साइड), तरल पदार्थों एवं ठोस अवशेषों का मिश्रण तैयार किया जाता है।

स्रोत – द हिन्दू

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