विद्युत मंत्रालय ने नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाण-पत्र (REC) तंत्र को नया स्वरूप प्रदान किया
हाल ही में विद्युत मंत्रालय ने नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाण-पत्र (Renewable Energy Certificate: REC) तंत्र को नया स्वरूप प्रदान किया।
इसका उद्देश्य REC तंत्र को विद्युत परिदृश्य में उभरते परिवर्तनों के अनुरूप बनाना तथा नवीन नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित करना है।
नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाण-पत्र (REC) तंत्र नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन प्रदान करने तथा नवीकरणीय क्रय दायित्वों (Renewable purchase obligation: RPO) के अनुपालन की सुविधा हेतु एक बाजार आधारित साधन है।
RPO बाध्य संस्थाओं (वितरण लाइसेंसधारियों, ओपन एक्सेस उपभोक्ताओं तथा कैप्टिव विद्युत उपभोक्ताओं) को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से अपनी कुल ऊर्जा आवश्यकता का कम से कम कुछ हिस्सा खरीदने के लिए अधिदेशित करता है।
इसका लक्ष्य देश में नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता व RPO की पूर्ति हेतु बाध्य संस्थाओं की आवश्यकता के बीच असंतुलन को समाप्त करना है।
REC की दो श्रेणियां हैं:
- सौर REC तथा गैर-सौर REC । एक REC का निर्माण होता है, जब एक योग्य नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन से प्रति घंटा एक मेगावाट (MWh) ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है।
- REC का इंडियन एनर्जी एक्सचेंज और पावर एक्सचेंज ऑफ इंडिया पर व्यवसाय होता है।
संशोधित REC तंत्र में प्रस्तावित प्रमुख परिवर्तनः
REC की वैधता स्थायी होगी, अर्थात जब तक इसे विक्रय नहीं किया जाता है। वर्तमान में यह 1095 दिनों (लगभग 3 वर्ष) की है। निगरानी तंत्र यह सुनिश्चित करेगा कि REC की जमाखोरी न हो। बाध्य संस्थाओं को उनके RPO अनुपालन से परे RECs जारी किए जा सकते हैं।
स्रोत – द हिन्दू