उर्वरकों के दुरुपयोग और कालाबाजारी को रोकने के लिए उपाय
हाल ही में उर्वरक विभाग ने उर्वरकों के दुरुपयोग और कालाबाजारी को रोकने के लिए बहु-आयामी उपाय किए हैं।
विभाग ने उर्वरकों के दुरुपयोग या अन्य कार्यों में उपयोग, कालाबाजारी, जमाखोरी और घटिया किस्म के उर्वरकों की आपूर्ति को रोकने के लिए फर्टिलाइजर फ्लाइंग स्क्वॉड (FFS) का गठन किया है।
भारत में केवल कृषि क्षेत्र में उपयोग के लिए ही यूरिया पर सब्सिडी दी जाती है। इसके कारण सब्सिडी वाले यूरिया को उद्योगों में उपयोग करने और सीमा पार भेजने को प्रोत्साहन मिलता है।
राल (रेसिन), प्लाईवुड, क्रॉकरी बनाने और मोल्डिंग – पाउडर इकाइयों जैसे कई उद्योगों में यूरिया का कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है।
सरकार उर्वरक उत्पादकों / आयातकों के माध्यम से किसानों को सब्सिडी युक्त कीमत पर उर्वरक उपलब्ध करा रही है ।
जहां, यूरिया को वैधानिक रूप से अधिसूचित अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर उपलब्ध कराया जाता है, वहीं फास्फेटिक और पोटैशिक (P&K) उर्वरक के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी योजना संचालित की जा रही है ।
उर्वरक के कुशलतापूर्वक उपयोग के लिए की गई अन्य प्रमुख पहलें
उर्वरकों की गुणवत्ता के बारे में किसानों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए एकीकृत उर्वरक प्रबंधन प्रणाली (i FMS) आरंभ की गई है।
सब्सिडी प्राप्त यूरिया के कृषि के अलावा अन्य क्षेत्रक में हो रहे गैर-कानूनी उपयोग को रोकने के लिए अनिवार्य नीम कोटेड यूरिया योजना शुरू की गई है।
एक राष्ट्र, एक उर्वरक (ONOF) योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है ।
उर्वरकों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई है।
स्रोत – पी.आई.बी.