हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट (Emissions Gap Report) 2021 जारी की है।
यह वार्षिक रूप से जारी की जाने वाली एक रिपोर्ट है। यह रिपोर्ट वर्ष 2030 तक के लिए पूर्वानुमानित ग्रीनहाउसगैस के उत्सर्जन तथा जलवायु परिवर्तन के सर्वाधिक प्रतिकूल प्रभावों को उत्पन्न होने से रोकने के लिए कितना ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन होना चाहिए, के बीच के अंतर का एक अवलोकन प्रदान करती है।
प्रमुख निष्कर्ष – उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट
- वर्ष 2030 के लिए नए या अपडेट किए गए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों (Nationally determined contributions: NDCs) और घोषित प्रतिबद्धताओं का वैश्विक उत्सर्जन तथा वर्ष 2030 में उत्सर्जन अंतराल पर केवल सीमित प्रभाव पड़ा है। इससे वर्ष 2030 के अनुमानित उत्सर्जन में केवल 7.5 प्रतिशत की कमी की संभावना है।
- यदि व्याप्त अंतराल इस पूरी शताब्दी में जारी रहता है, तो इसके परिणामस्वरूप तापमान में 2.7°C की वृद्धि हो जाएगी। यह UNEP की पिछली रिपोर्ट में किए गए 3°C पूर्वानुमान से कुछ ही कम है।
- तापन को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए उत्सर्जन में 30% कटौती की आवश्यकता है, और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए 55% कटौती की आवश्यकता है।
- वर्तमान शुद्ध शून्य लक्ष्य, शताब्दी के अंत तक भूमंडलीय तापन को लगभग 22 डिग्री सेल्सियस तक ही सीमित कर सकते हैं।
- जीवाश्म ईंधन, अपशिष्ट और कृषि क्षेत्रों से मीथेन उत्सर्जन में कमी से अल्पावधि में उत्सर्जन अंतराल को भरने तथा तापन को कम करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।
- कोविड-19 महामारी के कारण वर्ष 2020 में वैश्विक जीवाश्म स्रोतों से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में अभूतपूर्व 5.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
- वर्ष 2021 में उत्सर्जन में एक व्यापक विपरीत प्रवृत्ति उत्पन्न होने की उम्मीद है।
स्रोत – द हिन्दू