उत्तरी सागर शिखर सम्मेलन का आयोजन
हाल ही में यूरोपीय देशों ने बेल्जियम के ओस्टेंड में आयोजित दूसरे ‘उत्तरी सागर शिखर सम्मेलन’ में भाग लिया है।
- उत्तरी सागर सम्मेलन का उद्देश्य 2050 तक उत्तरी सागर को यूरोप का सबसे बड़ा ऊर्जा केंद्र बनाना है। इसके लिए उत्तरी सागर की अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता को 2030 तक 120 गीगावाट (GW) और 2050 तक 300 GW तक बढ़ाया जाएगा।
- इस दूसरे शिखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ (EU) के 7 सदस्य देशों (बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, लक्जमबर्ग व नीदरलैंड) तथा 2 गैर -EU देशों नॉर्वे और यूनाइटेड किंगडम ने भाग लिया था।
- वर्ष 2022 में डेनमार्क में आयोजित पहले शिखर सम्मेलन के अंत में बेल्जियम, डेनमार्क, जर्मनी और नीदरलैंड ने एसबियर्ग (Esbjerg) घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।
- एसबियर्ग घोषणा-पत्र का उद्देश्य उत्तरी सागर को “यूरोप के ग्रीन पावर प्लांट के रूप में विकसित करना है। यह एक अपतटीय नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली पर आधारित है।
- घोषणा-पत्र में 2030 तक 150 GW की अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता और 20 GW हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
भारत में पवन ऊर्जा
- REN21 रिन्यूएबल्स 2022 ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, पवन ऊर्जा क्षमता के मामले में भारत विश्व में चौथे स्थान पर है ।
- फरवरी 2023 तक, भारत की कुल संस्थापित पवन ऊर्जा क्षमता लगभग 42 GW थी ।
- राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति, 2018 में बड़ी ग्रिड से जुड़ी पवन-सौर ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने का प्रावधान किया गया है
- उत्तरी सागर, अटलांटिक महासागर का हिस्सा है। यह पूर्व में नॉर्वे और डेनमार्क, पश्चिम में स्कॉटलैंड व इंग्लैंड तथा दक्षिण में जर्मनी, नीदरलैंड, बेल्जियम एवं फ्रांस के मध्य स्थित है।
- यह डोवर जलसंधि और इंग्लिश चैनल द्वारा अटलांटिक से जुड़ा हुआ है।
स्रोत – इकोनोमिक्स साइंस