उत्तराखंड में फ्लैश फ्लड

उत्तराखंड में फ्लैश फ्लड

उत्तराखंड के चमोली ज़िले के तपोवन-रैनी क्षेत्र में एक ग्लेशियर के टूटने से धौली गंगा और अलकनंदा नदी में अचानक जलस्तर बढ़ने से तेज बहाव के कारण (फ्लैश फ्लड) 150 से ज्यादा लोग बह गए हैं। ये सभी लोग ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट में काम कर थे। इससे ऋषिगंगा बिजली परियोजना को काफी नुकसान पहुँचा है।

ग्लेशियर फटना क्या है ?

  • सालों तक भारी मात्रा में बर्फ जमा होने और उसके एक जगह एकत्र होने से ग्लेशियर का निर्माण होता है।
  • 99 प्रतिशत ग्लेशियर आइस शीट के रूप में होते हैं। इसे महाद्वीपीय ग्लेशियर भी कहा जाता है।
  • ये मीठे पानी के सबसे बड़े बेसिन हैं जो पृथ्वी की लगभग 10% भूसतह को कवर करते हैं।
  • यह अधिकांशत: ध्रुवीय क्षेत्रों या बहुत ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में होता है। हिमालयी क्षेत्रों में भी ऐसे ही ग्लेशियर पाए जाते हैं।
  • किसी भू-वैज्ञानिक हलचल की वजह से जब इसके नीचे गतिविधि होती है तब यह टूटता है। कई बार ग्लोबल वार्मिंग के कारण से भी ग्लेशियर के बर्फ पिघल कर बड़े-बड़े बर्फ के टुकड़ों के रूप में टूटने लगते हैं। यह प्रक्रिया ग्लेशियर फटना या टूटना कहलाता है।

ग्लेशियर के प्रकार:

ये दो प्रकार के होते हैं: पहला अल्‍पाइन ग्‍लेशियर और दूसरा आइस शीट्स। जो ग्लेशियर पहाड़ों पर होते हैं,वह अल्‍पाइन कैटेगरी में आते हैं।

फ्लैश फ्लड:

  • यह घटना बारिश के दौरान या उसके बाद जल स्तर में हुई अचानक वृद्धि को संदर्भित करती है।
  • यह घटना भारी बारिश की वजह से तेज़ आँधी, तूफान, उष्णकटिबंधीय तूफान, बर्फ का पिघलना आदि के कारण हो सकती है।
  • फ्लैश फ्लड की घटना बाँध टूटने और/या मलबा प्रवाह के कारण भी हो सकती।
  • यह बहुत ही उच्च स्थानों पर छोटी अवधि में घटित होने वाली घटना है, आमतौर पर वर्षा और फ्लैश फ्लड के बीच छह घंटे से कम का अंतर होता है।
  • फ्लैश फ्लड, खराब जल निकासी लाइनों या पानी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करने वाले अतिक्रमण के कारण भयानक हो जाती है।
  • फ्लैश फ्लड के लिये ज्वालामुखी उद्गार भी उत्तरदायी है, क्योंकि ज्वालामुखी उद्गार के बाद आस-पास के क्षेत्रों के तापमान में तेज़ी से वृद्धि होती है जिससे इन क्षेत्रों में मौजूद ग्लेशियर पिघलने लगते हैं।
  • फ्लैश फ्लड के स्वरूप को वर्षा की तीव्रता, वर्षा का वितरण, भूमि उपयोग का प्रकार तथा स्थलाकृति, वनस्पति प्रकार एवं विकास/घनत्व, मिट्टी का प्रकार आदि सभी बिंदु निर्धारित करते हैं।

ग्लेशियर झील:

हिमालय में ग्लेशियरों के पीछे हटने से झील का निर्माण होता है, जिन्हें अग्रहिमनदीय झील कहा जाता है, जो तलछट और बड़े पत्थरों से बँधी होती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course