उत्तराखंड के सात स्वदेशी उत्पादों को भौगोलिक संकेतक
हाल ही में उत्तराखंड के सात स्वदेशी उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indications : GI) का टैग मिला है।
जी.आई. टैग प्राप्त उत्तराखंड के इन 7 स्वदेशी उत्पादों में शामिल हैं :
- कुमाऊं का च्युरा तेल, मुनस्यारी राजमा, भोटिया दन्न (भोटिया नामक एक घुमन्तु समुदाय द्वारा बनाए जाने वाला गलीचा), ऐपण (विशेष अवसरों पर निष्पादित की जाने वाली पारंपरिक कला), रिंगल शिल्प/क्राफ्ट (बांस के रेशों से कलाकृतियां बनाने की कला), तांबे के उत्पाद और थुलमा (स्थानीय रूप से प्राप्त वस्त्रों से बने कंबल)।
- ध्यातव्य है कि तेजपत्ता (इंडियन बे लीफ), जी.आई. टैग प्राप्त करने वाला राज्य का प्रथम उत्पाद था।
- एक GI उन उत्पादों के लिए उपयोग किया जाने वाला एक संकेतक है, जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति, गुण या प्रतिष्ठा होती है। ये विशेषताएं उन्हें उनके मूल क्षेत्र के कारण प्राप्त होती हैं। आम तौर पर GI टैग का उपयोग कृषि उत्पादों, खाद्य पदार्थों, वाइन और मादक पेय, हस्तशिल्प एवं औद्योगिक उत्पादों के लिए किया जाता है।
- GI बौद्धिक संपदा अधिकारों (intellectual property rights) का हिस्सा है। इसे औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिए पेरिस कन्वेंशन के तहत शामिल किया गया है ।
- GI टैग प्राप्त होने से कई सारे अधिकार भी प्राप्त हो जाते हैं। ऐसे में जब किसी तीसरे पक्ष का उत्पाद निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं होता है तब इसका (अर्थात् GI अधिकार) उपयोग कर तीसरे पक्ष को उक्त उत्पाद आदि बेचने से रोका जाता है।
- भारत में भौगोलिक संकेतक पंजीकरण, माल का भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण) अधिनियम,1999 (Geographical Indications of Goods “Registration and Protection “Act of 1999) द्वारा प्रशासित होता है।
स्रोत – द हिन्दू