उच्चतम न्यायालय द्वारा फेकन्यूज व सांप्रदायिक झुकाव पर चिंता व्यक्त
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने सोशल मीडिया में फेक न्यूज व सांप्रदायिक झुकाव पर चिंता व्यक्त की है ।
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में तब्लीगी जमात की बैठक के मामले में याचिका की सुनवाई की पृष्ठभूमि में, “फेकन्यूज’ और सांप्रदायिक झुकाव से युक्त सूचना का प्रसार करने वाले वेबपोर्टलों और यूट्यूब (YouTube) जैसी संस्थाओं पर जवाबदेही लागू करने के लिए एक विनियामक तंत्र के अभाव पर खेद व्यक्त किया है।
इससे पूर्व, उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2018 में तहसीन एस. पूनावाला बनाम भारत संघ वाद में सरकार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भीड़ की हिंसा (Mob Violence) और किसी भी तरह की लिंचिंग को भड़काने वाले संदेशों पर नियंत्रण लगाने का निर्देश दिया था।
हाल ही में, केंद्र ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थानों के लिए दिशा-निर्देश और डिजिटलमीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021} का प्रवर्तन किया है। इसका उद्देश्य मीडिया की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और नागरिकों के सही सूचना प्राप्त करने के अधिकार के मध्य संतुलन स्थापित करना है।
नियमों की प्रमुख विशेषताएं
- भारत की संप्रभुता एवं अखंडता से संबंधित अपराध के मामले में “सूचना के प्रथम प्रवर्तक की पहचान की आवश्यकता होगी।
- त्रि-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र को अनिवार्य किया गया है।
- केंद्र सरकार का दावा है कि डिजिटल समाचार प्रकाशकों केशिकायत निवारण तंत्र की स्थापना डिजिटल समाचार प्रकाशकों की वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के नहीं करती है, बल्कि केवल जवाबदेही का एक तंत्र प्रदान करती है।
स्रोत – द हिन्दू