ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम

अपशिष्ट प्रबंधन नियम

हाल ही में ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के प्रारूप में पुनर्चक्रण लक्ष्यों और प्रमाण-पत्रों के व्यापार का उल्लेख किया गया है ।

हाल ही में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने लोगों के सुझाव आमंत्रित करने के लिए इन नियमों को सार्वजनिक किया है।

प्रारूप ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम कार्बन क्रेडिट के समान प्रमाण-पत्र के व्यापार की एक प्रणाली लागू करता है। यह कंपनियों को अस्थायी रूप से लक्ष्य प्राप्ति में रह गई कमियों को दूर करने की अनुमति देता है।

नियमों के प्रमुख प्रावधान

  • ये नियम पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम,1986 के तहत केंद्र सरकार को दी गई शक्तियों के तहत बनाए गए हैं। ये नियम वर्ष 2016 के नियमों और उनमें किये गए संशोधनों का स्थान लेंगे।
  • उपभोक्ता वस्तु कंपनियों और इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना होगा के वे वर्ष 2023 तक अपने इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट का कम से कम 60 प्रतिशत एकत्रित व पुनर्चक्रित करेंगे।
  • वर्ष 2024 और वर्ष 2025 के लिए यह लक्ष्य क्रमशः 70 प्रतिशत व 80 प्रतिशत निर्धारित किया गया है।
  • ये नियम विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility: EPR) रूपरेखा के तहत विनिर्माता, उत्पादक, पुनर्चक्रणकर्ताओं और नवीनीकरण करने वालों को शामिल करते हैं।
  • इन्हें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) में पंजीकरण कराना होगा।
  • एक संचालन समिति विनियमों के संपूर्ण कार्यान्वयन की निगरानी करेगी। इस समिति की अध्यक्षता केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अध्यक्ष करेंगे।
  • नियमों ने प्राधिकरणों की सूची में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) को भी शामिल किया है। BIS, नवीनीकृत उत्पादों के मानकों को जारी करने के लिए उत्तरदायी होगा
  • नियमों के अंतर्गत विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) प्रमाण-पत्र प्राप्त करने वाली कंपनियों की एक प्रणाली तैयार की गई है।

मुख्य शब्दावली

  • विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) एक नीतिगत उपाय है। इसके तहत उत्पादकों को उपभोग उपरांत उत्पादों के उपचार या निपटान के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय/भौतिक जिम्मेदारी दी जाती है।
  • वर्ष 2012 में, भारत ने पहली बार ई-अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए EPR की शुरुआत की थी।
  • वर्ष 2016 में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 (PWMR) अधिसूचित किए जाने के बाद प्लास्टिक विनिर्माताओं को भी EPR व्यवस्था के तहत शामिल किया गया था।
  • ई-अपशिष्ट का अर्थ ऐसे विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से है, जिसे पूरी तरह या आंशिक रूप से अपशिष्ट के रूप में फेंक दिया जाता है। साथ ही, विनिर्माण, नवीनीकरण और मरम्मत प्रक्रियाओं से भी इसे बाहर कर दिया जाता है।

स्रोत –द हिन्दू

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