ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2022 जारी
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम जारी किये है। सरकार ने ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2022 अधिसूचित किए हैं। ये नियम 1 अप्रैल, 2023 से लागू होंगे।
ये नियम ई-अपशिष्ट के विनिर्माण, बिक्री, हस्तांतरण, खरीद, नवीनीकरण आदि में शामिल प्रत्येक विनिर्माता, विघटन करने वालों (Dismantler) और पुनर्चक्रण करने वालों (recycler) पर लागू होंगे।
ये नियम पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत अधिसूचित किए गए हैं।
नए नियमों के मुख्य प्रावधान–
- ई-अपशिष्ट श्रेणी के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं की संख्या को 21 से बढ़ाकर 106 कर दिया गया है।
- विनिर्माता, उत्पादक व नवीनीकरण या पुनर्चक्रण करने वालों के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility) फ्रेमवर्क के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य किया गया है।
- वे ई-अपशिष्ट को अधिकतम 180 दिनों तक भंडारित रख सकते हैं। साथ ही, उन्हें ई-अपशिष्ट का एक रिकॉर्ड भी बना कर रखना होगा।
- विनिर्माता यह सुनिश्चित करेंगे कि अंतिम उत्पाद पुनर्चक्रण योग्य हों। इसके अतिरिक्त, अलग-अलग विनिर्माताओं द्वारा बनाए गए घटक एक दूसरे के संगत हों।
- केवल उन्हीं नए उपकरणों के आयात या बाजार में रखने की अनुमति दी जाएगी, जो प्रावधानों के अनुपालन अनुसार हों।
- विनिर्माण में सीसा, पारा, कैडमियम आदि जैसे । खतरनाक पदार्थों के उपयोग को कम करना होगा।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड खतरनाक पदार्थों के उपयोग को कम करने संबंधी नियम के अनुपालन की निगरानी और सत्यापन करेगा।
- ई-अपशिष्ट से तात्पर्य ऐसे विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से है, जिन्हें पूरी तरह या आंशिक रूप से अपशिष्ट के रूप में फेंक दिया जाता है।
- इनमें विनिर्माण, नवीनीकरण और मरम्मत प्रक्रियाओं में इस्तेमाल से बाहर कर दिए गए उपकरण भी शामिल
- चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत ई-अपशिष्ट का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
- ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण के लिए निम्न श्रेणी की अवसंरचना।
- जागरूकता और वित्तीय प्रोत्साहन की कमी। ई-अपशिष्ट के उत्पादन पर आंकड़ों का अभाव। उपयोग अवधि समाप्त हो चुके उत्पाद का बाजार में कुप्रबंधन।
- अनौपचारिक क्षेत्र में पर्यावरण की दृष्टि से असंधारणीय गतिविधियां। विनियामक प्रणाली के डिज़ाइन और उसे लागू करने की अपर्याप्त व्यवस्था।
स्रोत – द हिन्दू