इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग वर्ष 2025 तक 300 बिलियनडॉलर का हो जाएगा

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इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग वर्ष 2025 तक 300 बिलियनडॉलर का हो जाएगा

हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeiTY) ने ‘भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में वृद्धि और वैश्विक मूल्य श्रृंखला (GVCs) में हिस्सेदारी’ पर विजन दस्तावेज का खंड-1 जारी किया है । जिसमें कहा गया कि भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग वर्ष 2025 तक 300 बिलियन डॉलर का हो जाएगा।

यह MeITY के “विजन 1000डेज’ का एक भाग है। यह विज़न आत्मनिर्भर भारत के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर मूल्य की डिजिटल अर्थव्यवस्था प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित करता है।

वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में 3.6 फीसदी की हिस्सेदारी के बावजूद, भारत का कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात, वैश्विक निर्यात का केवल 0.34% है।

प्रमुख अनुशंसाएं:

  • वैश्विक मूल्य श्रृंखला (GVCs): 1-4 वर्षों के मध्य, विनिर्माताओं को चीन, वियतनाम, जापान, दक्षिण कोरिया, आदि देशों से तैयार उत्पादों, उप-संयोजनों और घटकों की विनिर्माण क्षमता को भारत में स्थानांतरित करने हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • 5-8 वर्षों के भीतर एक भारतीय पारितंत्र विकसित करनाः वैश्विक उपभोग के लिए GVC को आपूर्ति हेतु वैश्विक उप-संयोजनों और घटकों के निर्माण के लिएकौशल निर्माण करना तथा प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए।
  • विस्तार, निर्यात, कौशल प्राप्त करने और घरेलू पारितंत्र के निर्माण के लिए GVCs में को-लोकेशन (उपकरणों या संसाधनों का संस्थापन) करना चाहिए।
  • आगतों के लिए प्रशुल्क और नीति-संबंधी परिचालनात्मक बोझ एवं विलंब को कम करना चाहिए।

ध्यातव्य है कि इससे पूर्व, इलेक्ट्रॉनिक्स 2019 विज़न पर राष्ट्रीय नीति के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु तीन योजनाओं की भी घोषणा की गई थी-

  • व्यापक पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना।
  • इलेक्ट्रॉनिक घटक और अर्धचालक विनिर्माण संवर्धन योजना (Scheme for Promotion of Manufacturing of Electronic Components andSemiconductors: SPECS)
  • इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (EMC 2.0) योजना।

इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के समक्ष प्रमुख चुनौतियां: आर्थिक रूप से सक्षम फर्मों द्वारा आक्रामक मूल्य निर्धारण का विघटनकारी प्रभाव, बहुराष्ट्रीय कंपनियों की दक्षता की बराबरी करना, पूंजी, ज्ञान और कौशल तक पहुंच आदि। आक्रामक मूल्य निर्धारण (predatory pricing) प्रतियोगिता को समाप्त करने के प्रयास में कीमतें कम कर देना।

स्रोत –द हिन्दू

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