इनर लाइन परमिट (ILP) व्यवस्था
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने इनर लाइन परमिट (ILP) व्यवस्था पर केंद्र और मणिपुर सरकार को नोटिस जारी किया है ।
न्यायालय ने मणिपुर में ILP प्रणाली के विस्तार की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और जानकार मणिपुर सरकार से उत्तर की मांग की है।
याचिका में केंद्र के एक निर्णय को चुनौती दी गई है। केंद्र ने वर्ष 2019 में राष्ट्रपति द्वारा जारी एक आदेश केमाध्यम से मणिपुर में ILP व्यवस्था का विस्तार करने का निर्णय लिया था।
याचिका में तर्क दिया गया है कि ILP राज्य को गैर-स्थानीय लोगों या जो मणिपुर के स्थायी निवासी नहीं हैं,के प्रवेश और निकास को प्रतिबंधित करने के लिए अत्यधिक शक्ति प्रदान करता है।
याचिका के अनुसार, ILP अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 के तहत नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघनकरता है।
ILP के बारे में
- ILP एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज या परमिट है। यह बाहरी लोगों को सीमित अवधि के लिए संरक्षित क्षेत्रों की यात्रा करने हेतु दिया जाता है।
- इसे अंग्रेजों ने वर्ष 1873 के बंगाल ईस्टर्नफ्रंटियररेगुलेशन (BEER) के तहत लागू किया था। ILP को पहाड़ी राज्यों में सीमित जनजातीय आबादी की जनसांख्यिकीय, सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक अखंडता की रक्षा करने के साधन के रूप में देखा जाता है।
- विदेशियों को इन क्षेत्रों के पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के लिए एक संरक्षित क्षेत्र परमिट (Protected Area Permit: PAP) की आवश्यकता होती है। यह घरेलू पर्यटकों के लिए आवश्यक इनर लाइन परमिट से भिन्न होता है।
- अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम के बाद मणिपुर चौथा राज्य है, जहां ILP व्यवस्था लागू है।
स्रोत – द हिन्दू