इज़राइल, भारत के बीच रक्षा क्षेत्र में दोहरे उपयोग वाली तकनीकों को विकसित करने के लिए समझौता

हाल ही में भारत व इजरायल ने नवाचार को गति प्रदान करने तथा दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी हेतु समझौते पर हस्ताक्षर किए ।

  • दोनों देशों ने दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए एक द्विपक्षीय नवाचार समझौता किया है। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के स्टार्टअप्स और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) में नवाचार को बढ़ावा देना तथा अनुसंधान व विकास को त्वरित करना है।
  • इसमें ड्रोन, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम प्रौद्योगिकी, बायोसेंसिंग, ब्रेन-मशीन इंटरफेस, एनर्जी स्टोरेज आदि क्षेत्रों में अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों और उत्पादोंका संयुक्त विकास करना शामिल है।
  • दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियां सैन्य और वाणिज्यिक अंतिम उपयोगों के साथ नागरिक या रक्षा उद्योगों से उत्पन्न उन्नत प्रौद्योगिकियां हैं।
  • इसमें सामग्री (परमाणु ईंधन व रसायन), सॉफ्टवेयर तथा प्रौद्योगिकी (जैसे लेजर एवं सेंसर, नेविगेशन और एवियोनिक्स, प्रणोदन प्रणाली आदि) शामिल हैं।

निम्नलिखित विभिन्न तंत्रों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने तथा सामूहिक विनाश के हथियारों WMD) के प्रसार को रोकने के लिए दोहरे उपयोग की मदों के निर्यात, पारगमन आदि को नियंत्रित किया जाता है जैसे:

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प 1540,
  • बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाएं जैसे ऑस्ट्रेलिया समूह, वासेनार समझौता, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) और मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) आदि।

भारत, NSG को छोड़कर अन्य तीन बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं का हिस्सा है।

स्रोत – द हिंदू

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