इंडिया ट्राइस्ट विद ए सर्कुलर इकोनॉमी रिपोर्ट

इंडियाज ट्राइस्ट विद ए सर्कुलर इकोनॉमी रिपोर्ट

हाल ही में प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने “इंडियाज ट्राइस्ट विद ए सर्कुलर इकोनॉमी” शीर्षक से एक पेपर जारी किया है ।

  • चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular economy) एक ऐसी आर्थिक प्रणाली है, जहां उत्पादन के साधनों को इनपुट्स के फिर से उपयोग और पुनर्चक्रण के आसपास संगठित किया जाता है। इसका उदेश्य उत्पादन के संधारणीय और पर्यावरण के अनुकूल तरीके को बढ़ावा देना होता है ।
  • भारत का मौजूदा आर्थिक मॉडल काफी हद तक रैखिक (Linear) है। इसमें संसाधनों को प्राप्त किया जाता है, प्रसंस्कृत किया जाता है और उत्पादों में रूपांतरित किया जाता है। अंत में इन उत्पादों को उपभोक्ताओं को बेच दिया जाता है।
  • बाद में, उत्पादों को अपशिष्ट के रूप में त्याग दिया जाता है। इससे प्रतिवर्ष 62 मिलियन टन अपशिष्ट उत्पन्न {केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार } होता है।

भारत के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था का महत्त्व

  • नकारात्मक बाह्य कारकों जैसे – ध्वनि/वायु प्रदूषण, भूमि निम्नीकरण आदि को कम करने में मदद मिलती है।
  • अपशिष्ट में कमी आती है। साथ ही, उत्पादन के संधारणीय और पर्यावरण के अनुकूल तरीके अपनाना सुगम हो जाता है।
  • आय में वृद्धि करने में योगदान देती है। चक्रीय अर्थव्यवस्था अपनाने से 2030 तक वार्षिक 14 लाख करोड़ रुपये के मूल्य सृजन का अनुमान है।
  • संसाधनों पर निर्भरता कम करती है। इससे लागत में जो बचत होगी, वह 2030 तक वर्तमान भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 11 % के बराबर होगी ।

चक्रीय अर्थव्यवस्था हासिल करने में चुनौतियां:

  • लोगों में जागरूकता का अभाव है;
  • अपशिष्ट प्रबंधन व्यवस्था अपर्याप्त है;
  • चक्रीय अर्थव्यवस्था अपनाने के लिए की गई नीतिगत सिफारिशें
  • पुनर्चक्रित उत्पादों की उपलब्धता सीमित है आदि

चक्रीय अर्थव्यवस्था अपनाने के लिए की गई नीतिगत सिफारिशें

  • राष्ट्रीय स्तर के विज़न डॉक्यूमेंट तैयार करने की आवश्यकता है;
  • निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली को स्थापित करने की जरूरत है:
  • फिर से उपयोग, मरम्मत और पुनर्चक्रित किए गए उत्पादों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए आदि ।

चक्रीय अर्थव्यवस्था की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमः

  • राष्ट्रीय संसाधन दक्षता नीति (NREP), 2019 घोषित की गई है;
  • विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility: EPR) संबंधी प्रावधान किए गए हैं;
  • वर्ष 2016 में अटल नवाचार मिशन की शुरुआत की गई थी;
  • वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत मिशन आरंभ किया गया था आदि ।

स्रोत – ईएसीपीएम्.कॉम       

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