इंटरनेट शटडाउन पर संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट
हाल ही में इंटरनेट शटडाउन पर एक रिपोर्ट जारी की है। संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में लोगों के जीवन और मानवाधिकारों पर इसके ‘नाटकीय’ प्रभाव का विवरण दिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र ने देशों से इंटरनेट शटडाउन लागू करने से बचने का आह्वान किया है। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र ने इसके गंभीर दुष्परिणामों की चेतावनी भी दी है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट शटडाउन के निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं:
- सभी क्षेत्रों को इंटरनेट शटडाउन की आर्थिक लागत भुगतनी पड़ती है। उदाहरण के लिए यह वित्तीय लेनदेन, वाणिज्य और उद्योग को बाधित करता है।
- यह शैक्षणिक परिणामों को कमजोर करता है। शिक्षा प्रणाली और राजनीतिक वाद-विवाद या निर्णय भागीदारी में हस्तक्षेप करता है ।
- संचार में देरी और बाधाएं स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को भी प्रभावित करती हैं।
- यह महिलाओं और लड़कियों की जरूरी सहायता एवं सुरक्षा तक पहुंच को बाधित करता है। इस तरह यह लैंगिक विभाजन को बढ़ाता है।
- लोगों को उनके परिजनों तक पहुंचने के सबसे सुगम साधन से वंचित करके मानसिक आघात का कारण बनता है।
रिपोर्ट के प्रमुख सिफारिशें–
राज्यों के लिए: राज्यों को संपूर्ण इंटरनेट शटडाउन से बचना चाहिए।
कोई भी इंटरनेट शटडाउन निम्नलिखित शर्तों के अधीन होना चाहिए:
- किसी भी प्रकार की अस्पष्टता नहीं होनी चाहिए। साथ ही, इसे सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कानून पर आधारित होना चाहिए।
- इसका सहारा तभी लिया जाये, जब यह किसी वैध उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हो।
- इंटरनेट शटडाउन को कानूनी उद्देश्य के आनुपातिक होना चाहिए।
- कंपनियों के लिए: संचार बाधाओं को रोकने और उनका समाधान करने के लिए कार्य करने वाले सभी हितधारकों के साथ जुड़ाव एवं सहयोग को बेहतर किया जाना चाहिए।
- विकास एजेंसियों, क्षेत्रीय संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के लिए: यह सुनिश्चित करें कि इंटरनेट कनेक्टिविटी से संबंधित सहयोग कार्यक्रमों को डिजाइन एवं कार्यान्वित करते समय इंटरनेट शटडाउन के खतरों पर विचार किया जाता है।
- सिविल सोसाइटी के लिए: इंटरनेट शटडाउन को रोकने, जांच करने, अध्ययन करने और प्रतिक्रिया देने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत करें।
भारत में इंटरनेट शटडाउन संबंधी प्रावधानः
- वर्तमान में, दूरसंचार सेवाओं का निलंबन (इंटरनेट शटडाउन सहित) भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत अधिसूचित दूरसंचार अस्थायी सेवा निलंबन (लोक आपात या लोक सुरक्षा) नियम, 2017 द्वारा नियंत्रित है।
- वर्ष 2017 के नियम लोक आपात स्थिति (एक बार में 15 दिनों तक) के आधार पर किसी क्षेत्र में दूरसंचार सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद करने का प्रावधान करते हैं।
स्रोत –द हिन्दू