आसियान– भारत शिखर सम्मेलन
- हाल ही में 19वां भारत-आसियान (ASEAN) शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया,जिसमें भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भाग लिया है।
- यह सम्मेलन कंबोडिया के नोम पेन्ह में आयोजित हुआ है। इस सम्मेलन में भारत-आसियान संवाद की 30वीं वर्षगांठ भी मनाई गई है।
- वर्ष 2022 को आसियान-भारत मैत्री वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।
शिखर सम्मेलन के मुख्य निष्कर्ष
- दोनों पक्षों ने अपने संबंधों को ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी (CSP) तक बढ़ाया है। इसके तहत समुद्री सुरक्षा, हिंद-प्रशांत में परियोजनाओं, साइबर सुरक्षा और डिजिटल वित्तीय प्रणालियों की इंटर-ऑपरेबिलिटी जैसे विशेष क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी (CSP) ऊर्जा और स्वास्थ्य क्षेत्रकों में सहयोग तथा मेक इन इंडिया, प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन आदि जैसे क्षेत्रकों में निवेश को बढ़ावा देगी।
- भारत ने आसियान-भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी कोष के लिए 5 मिलियन डॉलर के अतिरिक्त परिव्यय की घोषणा की है।
- आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (AITGA) की समीक्षा में तेजी लाने पर भी सहमति बनी है।
भारत–आसियान संबंधों के बारे में
- राजनीतिक: भारत वर्ष 1992 में “क्षेत्रीय संवाद भागीदार के रूप में आसियान के साथ औपचारिक रूप से जुड़ा था। वर्ष 2012 में दोनों पक्ष रणनीतिक साझेदारी बनाने पर सहमत हुए थे।
- आर्थिक : दोनों पक्षों ने AITGA और आसियान-भारत सेवा व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। वर्तमान में दोनों पक्षों के मध्य 110 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है।
- वर्ष 2000-2021 के बीच आसियान देशों से भारत में 88 अरब डॉलर का संचयी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) हुआ था। इसमें सिंगापुर से सर्वाधिक निवेश हुआ है।
- सुरक्षा सहयोग के लिए आसियान क्षेत्रीय मंच (ARP), आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक+ (ADMM+) आदि जैसे मंचों की स्थापना की गई है।
- भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान मल्टी-मॉडल परियोजना आदि के माध्यम से कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया जा रहा है।
आसियान (दक्षिण–पूर्वी एशियाई देशों का संगठन) के बारे में
- आसियान की स्थापना वर्ष 1967 में आसियान घोषणा (बैंकॉक घोषणा) पर हस्ताक्षर के साथ हुई थी। इसका मुख्यालय जकार्ता, इंडोनेशिया में है।
- इसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच संयुक्त प्रयासों के माध्यम से आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास में तेजी लाना है।
- इसके सदस्य देश– इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार तथा कंबोडिया हैं।
स्रोत – द हिन्दू