आवर्ती श्रम बल सर्वेक्षण 2019-20
आवर्ती श्रम बल सर्वेक्षण 2019-20
हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा ‘आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण’ (पीएलएफएस) पर तीसरी वार्षिक रिपोर्ट जारी की गयी। यह रिपोर्ट जुलाई, 2019 और जून, 2020 के बीच आयोजित सर्वेक्षण पर आधारित है।
इस रिपोर्ट में श्रम संकेतकों में पिछले दो वर्षों, अर्थात वर्ष 2017-18 और वर्ष 2018-19 की तुलना में वर्ष 2019-20 में सुधार दर्ज किया गया है।
उद्देश्यः
- इसका पहला उद्देश्य वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) में केवल शहरी क्षेत्रों के लिए तीन माह के अल्पकालिक अंतराल पर प्रमुख रोजगार और बेरोजगारी संकेतकों, अर्थात श्रमिक-जनसंख्या अनुपात, श्रम बल भागीदारी दर, बेरोजगारी दर का अनुमान लगाना है।
- इसका दूसरा उद्देश्य प्रति वर्ष ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में सामान्य स्थिति (पीएस + एसएस) और वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) दोनों में रोजगार और बेरोजगारी संकेतकों का अनुमान लगाना है।
महत्वपूर्ण बिन्दुः
- वित्तीय वर्ष 2019-20 में बेरोज़गारी दर गिरकर 4.8% तक पहुँच गई, जबकि वर्ष वर्ष 2017-18 में 6.1% और 2018-19 में यह 5.8% पर थी।
- श्रम बल भागीदारी अनुपात वर्ष 2019-20 में पिछले दो वर्षों में क्रमशः 37.5% और 36.9% की तुलना में बढ़कर 40.1% हो गया है। अर्थव्यवस्था में ‘श्रम बल भागीदारी अनुपात’ जितना अधिक होता है, यह किसी भी अर्थव्यवस्था के लिये उतना ही बेहतर होता है।
- काम जनसंख्या दर में वर्ष 2018-19 में 35.3% और वर्ष 2017-18 में 34.7% की तुलना में वर्ष 2019-20 में सुधार हुआ है तथा यह 38.2% पर पहुँच गई है।
- आँकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि लिंग आधारित बेरोज़गारी दरवर्ष 2019-20 में पुरुष और महिला दोनों के लिये बेरोज़गारी दर गिरकर क्रमशः 5.1% और 4.2% पर पहुँच गई है, जो कि वर्ष 2018-19 में क्रमशः 6% और 5.2% पर थी।
रोजगार एवं बेरोजगारी संकेतकों की अवधारणात्मक रूपरेखा:
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) में महत्वपूर्ण रोजगार एवं बेरोजगारी संकेतकों जैसे कि श्रम बल भागीदारी दरों (एलएफपीआर) कामगार-जनसंख्या अनुपात ( डब्ल्यूपीआर), बेरोजगारी दर (यूआर), इत्यादि के अनुमान दिए जाते हैं। इन संकेतकों को नीचे परिभाषित किया गया है:
- श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर):श्रम बल भागीदारी दरको कुल आबादी में श्रम बल के अंतर्गत आने वाले व्यक्तियों,अर्थात कहीं कार्यरत या काम की तलाश में या काम के लिए उपलब्ध, के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- कामगार-जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर):कामगार-जनसंख्या अनुपात को कुल आबादी में रोजगार प्राप्त व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- बेरोजगारी दर (यूआर): इसे श्रम बल में शामिल कुल लोगों में बेरोजगार व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- कार्यकलाप की सामान्य स्थिति: किसी भी व्यक्ति के कार्यकलाप की स्थिति का निर्धारण निर्दिष्ट संदर्भ अवधि के दौरान उस व्यक्ति द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर किया जाता है। जब सर्वेक्षण की तारीख से ठीक पहले के 365 दिनों की संदर्भ अवधि के आधार पर कार्यकलाप की स्थिति का निर्धारण किया जाता है, तो इसे उस व्यक्ति के सामान्य कार्यकलाप की स्थिति के तौर पर जाना जाता है।
- वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस): जब सर्वेक्षण की तारीख से ठीक पहले के सात दिनों की संदर्भ अवधि के आधार पर कार्यकलाप की स्थिति का निर्धारण किया जाता है तो इसे उस व्यक्ति की वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) के रूप में जाना जाता है।
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS):
भूमिका:
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षणवर्ष 2017 में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO)द्वारा शुरू किया गया है।आवधिक श्रम बल सर्वेक्षणभारत का पहला कंप्यूटर-आधारित सर्वेक्षण है।
- अमिताभ कुंडू (Amitabh Kundu) की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिश के आधार पर इसका गठन किया गया।
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षणअनिवार्य रूप से देश में रोज़गार की स्थिति का मानचित्रण के साथ-साथ कई चरणों पर डेटा एकत्र करता है, जैसे- बेरोज़गारी का स्तर, रोज़गारी के प्रकार और संबंधित भागीदार, विभिन्न प्रकार की नौकरियों से अर्जित मज़दूरी, किये गए कार्य के घंटों की संख्या आदि।
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षणसे पूर्व राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO), इसे पूर्व में NSO के नाम से जाना जाता था, अपने पंचवर्षीय (प्रत्येक 5 वर्ष) घरेलू सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कार्यक्रम के आधार पर रोज़गार और बेरोज़गारी से संबंधित डेटा एकत्रित करता था।
स्रोतः इंडियन एक्सप्रेस
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