इसरो और नासा का संयुक्त “आर्टेमिस मिशन”
हाल ही में भारत आर्टेमिस अकॉर्ड्स पर हस्ताक्षर करने तथा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर नासा के साथ संयुक्त मिशन भेजने पर सहमत हो गया है
भारत ने आर्टेमिस अकॉर्ड्स में शामिल होने का निर्णय लिया है। यह समझौता समान विचारधारा वाले देशों को असैन्य उद्देश्यों से अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक साथ लाता है।
उपर्युक्त समझौते के अलावा, नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो / ISRO) 2024 में ISS पर एक संयुक्त मिशन भेजने पर भी सहमत हुए हैं।
वर्ष 2020 में नासा ने अमेरिका के विदेश मंत्रालय (डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट) की मदद से सात दूसरे देशों के साथ मिलकर आर्टेमिस अकॉर्ड्स की शुरुआत की थी।
ये 7 देश हैं: ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इटली, जापान, लक्जमबर्ग, संयुक्त अरब अमीरात और यूनाइटेड किंगडम |
आर्टेमिस अकॉर्ड्स गैर- बाध्यकारी सिद्धांतों का एक सेट है। इसे असैन्य अंतरिक्ष अन्वेषण के मार्गदर्शन के लिए डिज़ाइन किया गया है।
आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत, नासा का लक्ष्य 2025 तक चंद्रमा की सतह पर पहली महिला और पहले अश्वेत व्यक्ति को उतारना है। वैसे इस मिशन का मुख्य लक्ष्य मंगल ग्रह और उसके परे की दुनिया का अन्वेषण करना है।
आर्टेमिस (Artemis ) कार्यक्रम से आशय है- एक्सेलरेशन, रिकनेक्शन, टर्बुलेंस एंड इलेक्ट्रोडायनेमिक्स ऑफ मून इंटरेक्शन विद द सन ।
आर्टेमिस अकॉर्ड्स के निम्नलिखित सिद्धांत हैं:
शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए अंतरिक्ष का उपयोग करना,
अंतरिक्ष कार्यक्रम में पारदर्शिता सुनिश्चित करना,
अन्तरसंक्रियता (interoperability) को प्रोत्साहन देना,
अंतरिक्ष ऑब्जेक्ट्स का पंजीकरण करना,
अंतरिक्ष संबंधी धरोहरों को संरक्षित करना,
अंतरिक्ष उपयोग में देशों के बीच टकराव को कम करना और
अंतरिक्ष मलबे का प्रबंधन करना ।
भारत-अमेरिका अंतरिक्ष समझौते का महत्त्व
भारत और अमेरिका डेटा, प्रौद्योगिकी व संसाधनों को आपस में साझा करेंगे। साथ ही, चंद्रमा के अन्वेषण की सुरक्षा और सततता सुनिश्चित करने के लिए मिलकर कार्य करेंगे ।
गगनयान मिशन के लिए कार्यक्रम, सुविधाओं और प्रशिक्षण डिज़ाइन को बेहतर बनाने में सहायता मिलेगी।
भारत की अंतरिक्ष क्षेत्रक से जुड़ी कंपनियां वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन सकती हैं।
स्रोत – द हिन्दू