आधार कार्ड ‘डेटा सुरक्षा’ का मामला

आधार कार्ड डेटा सुरक्षाका मामला

हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने संस्थाओं के साथ आधार कार्ड की फोटोकॉपी साझा न करने की सलाह वापस ले ली है ।

  • MeitY ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा हाल ही में जारी एडवाइजरी वापस ले ली है। इसके तहत आम जनता को अपने आधार कार्ड की फोटोकॉपी हर किसी संगठन के साथ साझा करने के प्रति सचेत किया गया था। मंत्रालय के अनुसार UIDAI की इस एडवाइजरी का गलत अर्थ निकाला जा सकता था।
  • UIDAI एक वैधानिक संस्था है। इसे आधार डेटा एकत्र करने का कार्य सौंपा गया है।
  • आधार पहचान सत्यापन प्रणाली ने आधार कार्ड धारक की पहचान और निजता की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की हैं।

आधार डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित उपाय किये गए हैं:

  • मास्क्ड आधारः यह व्यवस्था व्यक्तिगत सूचनाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए वर्ष 2021 में आरंभ की गयी थी। इसके तहत आधार संख्या के केवल अंतिम 4 अंक प्रदर्शित किये जाते हैं।
  • दो स्तरीय सत्यापनः आधार को प्राथमिक मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी से लिंक किया जाता है। यदि कोई आधार खाते तक पहुंचने का प्रयास करता है या किसी सत्यापन के लिए इसका उपयोग करता है, तो UIDAI आधार धारक के पास वन-टाइम पासवर्ड (OTP) भेजेगा।
  • बायोमेट्रिक्स को लॉक करनाः यह निवासियों के बायोमेट्रिक्स डेटा के संभावित दुरुपयोग को रोकता है। जब कोई व्यक्ति अपने बायोमेट्रिक्स (फिंगरप्रिंट, आइरिस और फेस रिकग्निशन) को लॉक कर देता है, तो उनका सत्यापन के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है।
  • वर्चुअल आइडेंटिटी (VID) का उपयोग करनाः इसके लिए सीमित KYC (नो योर कस्टमर)की प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है। यह उपयोगकर्ता की पहचान की पुष्टि करते हुए आधार संख्या को प्रमाणीकरण एजेंसी से छुपाता है। यह 16 अंकों वाली संख्या है। यह अस्थायी प्रकृति की होती है और केवल कुछ समय के लिए ही वैध रहती है।

पहचान सत्यापन के लिए आधार संख्या मांगने का अधिकार किसे है?

  • केवल वे संगठन, जिन्होंने UIDAI से उपयोगकर्ता लाइसेंस प्राप्त किया है। वे किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए आधार का उपयोग कर सकते हैं।
  • होटल या फिल्म हॉल जैसी बिना लाइसेंस वाली निजी संस्थाओं को आधार कार्ड की प्रतियां एकत्र करने या रखने की अनुमति नहीं है। आधार अधिनियम, 2016 के तहत यह अपराध है। हालांकि, देश में कई निजी संस्थाएं आधार कार्ड पर जोर देती हैं, और उपयोगकर्ता अक्सर इनके साथ अपना विवरण साझा भी कर देते हैं।

स्रोत द हिंदू

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