आचार्य कृपलानी
हाल ही में प्रधानमंत्री ने आचार्य कृपलानी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
परिचय:
- उनका जन्म 11 नवंबर,1888 को सिंध (हैदराबाद) में हुआ था। उनका मूल नाम जीवतराम भगवानदास कृपलानी था, लेकिन उन्हें आचार्य कृपलानी के नाम से जाना जाता था। वह एक स्वतंत्रता सेनानी, भारतीय राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद् थे।
- वर्ष 1912 से 1927 तक उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में पूरी तरह से शामिल होने से पूर्व विभिन्न स्थानों पर अध्यापन का कार्य किया।
- वर्ष 1922 के आसपास जब वे महात्मा गांधी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ में अध्यापन कार्य कर रहे थे, तब उन्हें ‘आचार्य’ उपनाम प्राप्त हुआ।
- कृपलानी जी विनोबा भावे के साथ 1970 के दशक में पर्यावरण के संरक्षण एवं बचाव गतिविधियों में शामिल रहे।
- वह असहयोग आंदोलन (1920-22) और सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930 में शुरू) तथा भारत छोड़ो आंदोलन (1942) का हिस्सा रहे।
- स्वतंत्रता के समय वे भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (INC) के अध्यक्ष थे। उन्होंने भारत की अंतरिम सरकार (1946-1947) और भारत की संविधान सभा में योगदान दिया।
- आज़ादी के बाद कॉन्ग्रेस छोड़कर वह किसान मज़दूर प्रजा पार्टी (KMPP) के संस्थापकों में से एक बन गए।
- वह 1952, 1957, 1963 और 1967 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में लोकसभा के लिये चुने गए।
- उन्होंने भारत-चीन युद्ध (1962) के तुरंत बाद वर्ष 1963 में लोकसभा में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किया।
- वर्ष 1963 में कॉन्ग्रेसी नेता सुचेता कृपलानी, उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, जो देश की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थीं, जबकि उनके पति आचार्य कृपलानी कॉन्ग्रेस के विरोधी बने रहे।
- वह नेहरू की नीतियों और इंदिरा गांधी के शासन के आलोचक थे। उन्हें आपातकाल (1975) के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया।
- उनकी आत्मकथा ‘माई टाइम्स’ (My Times) वर्ष 2004 में मरणोपरांत प्रकाशित हुई।
- कृपलानी, गांधी: हिज़ लाइफ एंड थॉट (1970) सहित कई पुस्तकों के लेखक थे।
स्रोत – द हिन्दू