आकाश मिसाइल (Aakash Missile)
केंद्रीय मंत्रिमंडल नेमित्र देशों को सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल (Akash Missile) के निर्यात हेतु स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके साथ ही निर्यात को बढ़ाने के लिए एक समिति गठित करने का भी निर्णय लिया है।
पृष्ठभूमि:
- विदित हो कि इस मिसाइल सिस्टम को खरीदने के लिए दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका के 9 देशों ने रुचि दिखाई है।रक्षा मंत्रालय के अनुसार आकाश देश की महत्वपूर्ण मिसाइल है और यह 96 प्रतिशत स्वदेशी प्रकृति की है।
- रक्षा मंत्रालय के अनुसार इससे देश को अपने रक्षा उत्पादों को बेहतर बनाने और उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।इससे आत्मनिर्भर भारत के तहत, भारत विभिन्न प्रकार के रक्षा उपकरणों और मिसाइलों के निर्माण में अपनी क्षमताओं में वृद्धि कर सकता है।
मुख्य बिंदु:
- यह कदम रक्षा निर्यात के 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करेगा और मित्र देशों के साथ रणनीतिक संबंधों को सुदृढ़ता प्रदान करेगा।
- आकाश के अतिरिक्त, अन्य प्रमुख मंच जैसे तटीय निगरानी प्रणाली, रडार और वायु आधारित मंच के निर्यात की मांग में भी वृद्धि हुई है।
- साथ ही, प्रमुख स्वदेशी मंच के निर्यात के लिए त्वरित अनुमोदन प्रदान करने हेतु रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को शामिल करते हुए एक समिति भी गठित की गई है।
आकाश मिसाइल प्रणाली:
- आकाश सतह से हवा में मार करने वाली एक मिसाइल है।इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया है। इसकी मारक क्षमता 25 किलोमीटर तक है।
- इस मिसाइल को 2014 में भारतीय वायु सेना तथा 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। विदित हो कि वर्ष 1990 में आकाश मिसाइल की पहली परीक्षण उड़ान आयोजित की गयी थी।
रेंज और क्षमता:
- नाभिकीय क्षमता युक्त आकाश मिसाइल 18 किमी. की अधिकतम ऊँचाई पर 2.5 मैक (लगभग 860 मीटर प्रति सेकंड) की गति से उड़ने में सक्षम है।
- यह दुश्मन के हवाई ठिकानों को लक्ष्य बना सकती है जैसे- लड़ाकू जेट, ड्रोन, क्रूज़, हवा से सतह में मार करने वाली मिसाइलों के साथ-साथ 30 किलोमीटर की दूरी से बैलिस्टिक मिसाइलों को भेदने में भी सक्षम है।
- आकाश मिसाइल के विकास की लागत दूसरे देशों में इसी तरह के सिस्टम विकास की लागत से 8-10 गुना कम है।
आकाश मिसाइल भारतीय सेना में शामिल:
गौरतलब है कि आकाश मिसाइल को साल 2014 में भारतीय वायु सेना तथा साल 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था।
भारत 42 देशों को रक्षा सामग्री निर्यात करता है:
- भारत अभी कुल 42 देशों को रक्षा सामग्री निर्यात कर रहा है, जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, स्वीडन, म्यांमार, श्रीलंका और मॉरीशस जैसे देश शामिल हैं।
- वैश्विक हथियारों के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी मात्र 0.17% है।
- भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के सैन्य हार्डवेयर का निर्यात करना है।
स्रोत –द हिन्दू