आकाशीय बिजली पर रिपोर्ट

आकाशीय बिजली पर रिपोर्ट

  • क्लाइमेट रेज़िलिएंट ऑब्ज़र्विंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार,आकाशीय बिजली से भारतीयों की अधिक संख्या में मौत हुई है। भारत में 1 अप्रैल, 2019 और 31 मार्च, 2020 के बीच आकशीय बिजली गिरने से 1,771 मौतें हुई हैं।
  • वर्ष 2019-20 में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से कुल मौतें 33% आकाशीय बिजली के कारण हुई थी।बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्या में वर्ष 2019-20 में लगभग 37% की कमी आई है।

आकाशीय बिजली का अर्थ:

  • सामान्यतः यह आकाशीय बिजली10-12 किमी. ऊँचे आर्द्रता-युक्त बादलों में उत्पन्न होता है, तथा यह बादल के ऊपरी हिस्से और निचले हिस्से के बीच विद्युत आवेश के अंतर का परिणाम है।इंटर-क्लाउड और इंट्रा-क्लाउड (आईसी) आकाशीय बिजली को आसानी से देखा जा सकता है और यह हानिरहित होती है।
  • क्लाउड टू ग्राउंड (सीजी) आकाशीय बिजली, बादल और भूमि के बीच उत्पन्न होती है और हाई इलेक्ट्रिक वोल्टेज व इलेक्ट्रिक करंट के समान हानिकारक होती है, जिसके संपर्क में आने से किसी व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

जिम्मेदार कारक:

  • पर्यावरण के तेजी से क्षरण जैसे- ग्लोबल वार्मिंग, वनों की कटाई, जल निकायों का क्षरण, कंक्रीटाइज़ेशन बढ़ता प्रदूषण और एरोसोल ने जलवायु परिवर्तन को चरम स्तर पर पहुँचा दिया है तथा आकाशीय बिजली इन जलवायु चरम सीमाओं का प्रत्यक्ष प्रभाव है।
  • आकशीय बिजली गिरने की घटनाएं एक निश्चित अवधि के दौरान और लगभग समान भौगोलिक स्थानों पर समान पैटर्न में होती है।
  • क्लाइमेट रेज़िलिएंट ओब्जर्विंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल (सीआरओपीसी) के अनुसार, किसानों, पशु चराने वालों, बच्चों और खुले क्षेत्रों में लोगों की जान बचाने के लिए बिजली गिरने की पूर्व-जानकारी दिया जाना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
  • सीआरओपीसी एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत मौसम विज्ञान विभाग (इंडियन मेट्रोलोजिकल डिपार्टमेंट आइएमडी) के समन्वय से कार्य करता है।
  • बिजली गिरने से होने वाली मौतों को कम करने के लिए, तड़ित सुरक्षा यंत्रों (लाइटिंग प्रोटेक्टिंग डिवाइस) को लगाने जैसे स्थानीय तड़ित सुरक्षा कार्य योजनाओं की आवश्यकता है।

सुझाव:

  • राज्यों को लाइटनिंग रेज़िलिएंट इंडिया कैंपेन में भाग लेना चाहिये और व्यापक रूप से अधिक लाइटनिंग जोखिम प्रबंधन सुनिश्चित करना चाहिये।
  • इंडियन मेट्रोलोजिकल डिपार्टमेंटने सीआरओपीसीके साथ-साथ लाइटनिंग रेज़िलिएंट इंडिया कैंपेन नाम से एक संयुक्त अभियान शुरू किया है और इसे भारतीय मौसम विज्ञान सोसायटी (इंडियन मेट्रोलोजिकल डिपार्टमेंट-आईएम्एस ), गैर-सरकारी संगठनों, IIT दिल्ली तथा अन्य संबंधित संस्थानों द्वारा विधिवत समर्थन दिया गया है।
  • किसानों, मवेशी पालकों, बच्चों और खुले इलाकों में लोगों को आकाशीय बिजली के संबंध में शुरुआती चेतावनी दी जानी चाहिये।आकाशीय बिजली एक निश्चित अवधि में लगभग समान भौगोलिक स्थानों पर समान रूप से गिरती है।
  • कालबैशाखी,नोर्वेस्टर, जोकि आकाशीय बिजली के साथ आने वाले तेज़ तूफान हैं, काफी हिंसक होते हैं। इस प्रकार के तूफ़ान साधारणत: बंगाल में आते हैं।
  • लाइटनिंग प्रोटेक्शन डिवाइसेस की तरह एक स्थानीय लाइटनिंग प्रोटेक्शन वर्क प्लान को लागू किया जाना चाहिये।
  • क्षति को रोकने के लिये आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों को एक आपदा के रूप में अधिसूचित किया जाना चाहिये।
  • इस बात पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है कि आकाशीय बिजली को केंद्र ने आपदा के रूप में अधिसूचित नहीं किया है।

स्रोत द हिन्दू

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