एक नए अध्ययन में भारत को वर्ष 1980 से 2015 के बीच घटित हुई वैश्विक आकस्मिक सूखा (Flash drought) की घटनाओं वाले देशों की सूची में शामिल किया गया है।
महीनों में विकसित होने वाले पारंपरिक सूखे के विपरीत, आकस्मिक सूखे एक गंभीर सूखे के प्रकार की स्थिति को संदर्मित करता है, जो बहुत तेजी से विकसित होती है।
ये असामान्य रूप से उच्च तापमान, पवनों और उच्च सौर विकिरण तथा वर्षा के 15-20 दिनों की देरी के कारण होने वाली उच्च वाष्पोत्सर्जन दर की वजह से होते हैं।
यह वर्षा की कमी (वर्षा की कमी से आकस्मिक सूखा) या असामान्य रूप से उच्च तापमान (लू के कारण आकस्मिक सूखा) द्वारा घटित हो सकता है।
मृदा की नमी और फसल दबाव के साथ इसके प्रत्यक्ष संबंध के कारण इसे कृषि सूखे के रूप में भी वर्गीकृत किया जा सकता है।
स्रोत – द हिन्दू