आई.टी. नियम 2021 का (ट्रेसेब्लिटी क्लॉज)

आई.टी. नियम 2021 का (ट्रेसेब्लिटी क्लॉज)

हाल ही में मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में नए आईटी नियम, 2021 में निहित (ट्रेसेब्लिटी क्लॉज) ट्रेसबिलिटी प्रावधान को चुनौती देने के लिए एक याचिका दायर की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • ट्रेसबिलिटी प्रावधान के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सरकार या अदालत के आदेश पर भारत में सूचना के पहले प्रवर्तक की अनिवार्य रूप से पहचान करने की आवश्यकता होती है।
  • यदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और डिजिटल कंटेंट मीडिया आउटलेट नए नियमों का पालन करने में विफल रहते हैं, तो धारा 79 के अंतर्गत सोशल मीडिया बिचौलियों को प्रदान की जाने वाली क्षतिपूर्ति ली जाएगी।

आईटी नियमों के इस ट्रैसेबिलिटी प्रावधान के खिलाफ व्हाट्सएप के तर्क:

  • सबसे पहले, ट्रेसबिलिटी प्रावधान व्हाट्सएप को अपनी मैसेजिंग सेवा पर एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर करता है। एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन यह सुनिश्चित करता है कि प्रेषक और प्राप्तकर्ता के अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति प्रेषित संदेश को नहीं पढ़ सकता है। इसमें व्हाट्सएप भी शामिल है।
  • दूसरे, यह अनुच्छेद करोड़ों नागरिकों के निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करती है, क्यों कि उपयोगकर्ता निजी और सुरक्षित रूप से संवाद नहीं कर पाएंगे।
  • व्हाट्सएप ने 2017 के जस्टिस के एस पुट्टस्वामी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले का हवाला देते हुए तर्क दिया कि ट्रेसबिलिटी प्रावधान असंवैधानिक है और लोगों के निजता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा-79:

  • इसमें प्रावधान है कि किसी भी मध्यस्थ को उसके प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध या होस्ट किए गए किसी तीसरे पक्ष की सूचना, संचार या डेटा लिंक के लिए कानूनी या अन्यथा उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा।
  • अधिनियम में कहा गया है कि यह सुरक्षा तब लागू होगी जब उक्त मध्यस्थ किसी भी तरह से संदेश के प्रसारण की पहल नहीं करता है, प्रसारण में निहित किसी भी जानकारी को संशोधित नहीं करता है या प्रेषित संदेश के रिसीवर का चयन नहीं करता है।
  • सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा सूचित या अधिसूचित किए जाने के बावजूद, यदि मध्यस्थ विचाराधीन सामग्री तक तत्काल पहुंच को अक्षम (disable) नहीं करता है, तो इसे अनुमोदित नहीं किया जाएगा।

एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन और ट्रेसेब्लिटी में संघर्ष

  • एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन यह सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया था कि जिस व्यक्ति/समूह से आप बात कर रहे हैं उसके अतिरिक्त कोई भी यह नहीं पता सकता कि आपने एक विशेष संदेश भेजा है। जबकि ट्रेसबिलिटी यह पता लगाने की क्षमता के ठीक विपरीत है कि किसके द्वारा, क्या संदेश किसको भेजा जाता है।
  • ट्रेसबिलिटी निजी कंपनियों को प्रतिदिन अरबों संदेशों की जानकारी एकत्र करने के लिए मजबूर करेगी। यह क्षमता विकास के आधार पर सहज कार्य नहीं है। इसके लिए एक ऐसे मंच की आवश्यकता होगी जो इन सूचनाओं को केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंपने के उद्देश्य से अधिक डेटा एकत्र करने में सक्षम हो।

स्त्रोत – द हिन्दू

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course