संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा ‘आंतरिक विस्थापन पर कार्य एजेंडा’ जारी
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) महासचिव ने ‘आंतरिक विस्थापन पर कार्य एजेंडा’ (Action Agenda on Internal Displacement) जारी किया है।
यह कार्य एजेंडा आंतरिक विस्थापन संकटों को बेहतर ढंग से हल करने, रोकने और दूर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की प्रतिबद्धताओं को निर्धारित करता है।
आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति (IDPs) वे लोग हैं, जो कई कारणों से अपने घरों से पलायन के लिए मजबूर हो जाते हैं, लेकिन अपने देश के भीतर ही रहते हैं।
आंतरिक विस्थापन के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- सशस्त्र संघर्ष,
- सामान्य हिंसा,
- मानवाधिकारों का उल्लंघन,
- प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव आदि।
आंतरिक रूप से विस्थापितों की संख्या 5.9 करोड़ से अधिक (2021) हो गई है। भारत में भी वर्ष 2021 में आंतरिक विस्थापितों की संख्या 49 लाख थी।
आंतरिक रूप से विस्थापित लोग निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करते हैं:
- शारीरिक हमले, लैंगिक हमले और अपहरण का अत्यधिक खतरा।
- पर्याप्त आश्रय, भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं आदि से वंचित होना।
यह कार्य एजेंडा निम्नलिखित तीन लक्ष्यों को साकार करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धताओं को निर्धारित करता है:
- आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की उनके विस्थापन का एक स्थायी समाधान खोजने में मदद करना;
- नए विस्थापन संकटों को उभरने से बेहतर तरीके से रोकना; तथा
- यह सुनिश्चित करना कि विस्थापन का सामना करने वालों को प्रभावी सुरक्षा और सहायता मिले।
भारत में, आंतरिक विस्थापन को निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
- प्राकृतिक आपदाओं के कारण विस्थापन,विकास गतिविधियों के कारण विस्थापन, तथा हिंसा और संघर्ष की घटनाओं के कारण विस्थापन ।
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 पहली दो श्रेणियों को संबोधित करते हैं।
- इनके अलावा, प्रवासियों और स्वदेश लौटने वालों के राहत व पुनर्वास की एक अम्ब्रेला योजना भी चलाई जा रही है। इसके तहत वित्तीय सहायता और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
स्रोत –द हिन्दू