पूर्वोत्तर के कई जिलों में AFSPA के तहत घोषित ‘अशांत क्षेत्रों की संख्या होगी कम

पूर्वोत्तर के कई जिलों में AFSPA के तहत घोषित अशांत क्षेत्रों की संख्या होगी कम

हाल ही में केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के कई जिलों में AFSPA के तहत घोषित ‘अशांत क्षेत्रों’ की संख्या को कम करने का फैसला लिया है।

  • गृह मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि 1 अप्रैल से नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल (विशेष शक्तिया) अधिनियम (AFSPA ), 1958 के तहत अशांत क्षेत्रों की संख्या में कमी की जाएगी।
  • नगाओं के विद्रोह से निपटने के लिये यह कानून पहली बार वर्ष 1958 में लागू हुआ था।
  • इससे पहले, 2018 में मेघालय से, 2015 में त्रिपुरा से तथा 1980 के दशक में मिजोरम से AFSPA को पूरी तरह से हटा दिया गया था ।
  • वर्तमान में नागालैंड, असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में AFSPA प्रभावी है।

सशस्त्र बल (विशेष शक्तिया) अधिनियम (AFSPA ), 1958

  • AFSPA, अशांत क्षेत्रों में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को विशेष अधिकार प्रदान करता है ।
  • AFSPA सशस्त्र बलों और “अशांत क्षेत्रों” में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने तथा बिना वारंट के किसी भी परिसर की तलाशी लेने एवं अभियोजन तथा कानूनी मुकदमों से सुरक्षा के साथ निरंकुश अधिकार देता है।
  • AFSPA अधिनियम, 1958 की धारा – 3 के तहत किसी क्षेत्र को अशांत क्षेत्र घोषित किया जाता है।
  • यह तब घोषित किया जाता है, जब कोई राज्य / केंद्र शासित प्रदेश अथवा उसका कोई हिस्सा ऐसी स्थिति में होता है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक हो जाता है।
  • अधिनियम को वर्ष 1972 में संशोधित किया गया था और किसी क्षेत्र को “अशांत” घोषित करने की शक्तियाँ राज्यों के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी प्रदान की गई थीं।
  • किसी क्षेत्र को ‘अशांत क्षेत्र’ राज्य के राज्यपाल / केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक या केंद्र सरकार द्वारा घोषित किया जाता है ।
  • AFSPA अधिनियम की धारा 4 के तहत सशस्त्र बल अशांत क्षेत्र में कानून और व्यवस्था के खिलाफ कार्य करने वाले किसी भी व्यक्ति को चेतावनी देने के बाद गोली चला सकते हैं या गिरफ्तार कर सकते हैं।
  • इस अधिनियम की धारा – 6 इस कानून के तहत कार्य करने वाले व्यक्तियों को विधिक प्रतिरक्षा प्रदान करती है।

स्रोत – पी.आई.बी.

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