हाल ही में , 7 अगस्त को अवनींद्र नाथ टैगोर की 150वीं जयंती मनाई गई । अवनीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 अगस्त, 1871 को और इनकी मृत्यु 5 दिसम्बर, 1951में हुई थी । ये भारत के प्रख्यात चित्रकार तथा साहित्यकार थे।
रबींद्रनाथ टैगोर के भतीजे अवनींद्र नाथ टैगोर, भारत में बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के सबसे प्रमुख कलाकारों में से एक थे। अवनींद्र नाथ टैगोर भारतीय कला में स्वदेशी मूल्यों के पहले प्रमुख समर्थक थे।
‘अवनींद्र नाथ टैगोर’ का भारतीय कला और संस्कृति में योगदान:
- उन्होंने पहले ‘इंडियन सोसाइटी ऑफ़ ओरिएंटल आर्ट’ का गठन किया तथा इसके पश्चात ‘बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट’ की स्थापना की।
- उनका मानना था, कि भारतीय कला और इसके कला-रूप आध्यात्मिकता को महत्व देते है, इसके विपरीत पश्चिम की कला में भौतिकवाद पर जोर दिया जाता है। अतः उन्होंने कला की पश्चिम में प्रचलित कला रूपों को अस्वीकार कर दिया।
- मुगल एवं राजपूत चित्रकला को आधुनिक बनाने के उनके विचार ने अंततः आधुनिक भारतीय चित्रकला को जन्म दिया। जिसका विकास बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट में हुआ।
- उनका अधिकांश कार्य हिंदू-दर्शन से प्रेरित है।
- अपने बाद के कार्यों में, अवनींद्र नाथ ने चीनी और जापानी सुलेख रूपांकन परंपराओं को अपनी शैली में एकीकृत करना शुरू कर दिया था। इसकी पीछे उनका उद्देश्य सम्पूर्ण एशियाई आधुनिक कला परंपरा तथा पूरब की कलात्मक और आध्यात्मिक संस्कृति के सामान्य तत्वों का समामेलन करना था।
प्रसिद्ध चित्र:
भारत माता, शाहजहाँ (1900), मेरी माँ (1912–13), परीलोक चित्रण (1913), यात्रा का अंत (1913)।
साहित्य में योगदान:
- एक चित्रकार के साथ-साथ वे बंगाली बाल साहित्य के प्रख्यात लेखक भी थे। उनकी अधिकांश साहित्यिक कृतियाँ बच्चों पर केंद्रित थीं।
- वे ‘अबन ठाकुर’ के नाम से प्रसिद्ध थे और उनकी पुस्तकें जैसे राजकहानी, बूड़ोअंगला, नलक, खिरेरपुतुल बांग्ला बाल-साहित्य में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
- अरेबियन नाइट्स श्रृंखला उनकी उल्लेखनीय कृतियों में से एक थी।
स्रोत – द हिन्दू