अल्लूरी सीताराम राजू
हाल ही में अल्लूरी सीताराम राजू के 125वें जन्मोत्सव वर्ष के समापन समारोह में देश की राष्ट्रपति शामिल हुई ।
अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म 4 जुलाई 1897 को मद्रास प्रेसीडेंसी के पश्चिमी गोदावरी जिले के मोगल्लु गांव में हुआ था। उन्हें ‘मन्यम वीरुडु’ के रूप में भी जाना जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है – ‘जंगलों का नायक’।
प्रारंभ में गांधीजी के असहयोग आंदोलन के प्रभाव में, उन्होंने आदिवासियों को स्थानीय पंचायत अदालतों में न्याय पाने और औपनिवेशिक अदालतों का बहिष्कार करने के लिए प्रेरित किया था ।
अगस्त 1922 में, उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट में रम्पा विद्रोह या मन्यम विद्रोह (1922-1924) शुरू किया था ।
विद्रोह के कारण –
- मुत्तदार इस क्षेत्र के वास्तविक शासक थे। उन्हें जबरदस्ती औपनिवेशिक ढांचे के अधीन लाकर उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को चुनौती दी गई थी।
- नए औपनिवेशिक शासन के तहत ‘पोड्डु खेती’ (स्थानांतरित खेती ) को अवैध घोषित कर दिया गया था।
- औपनिवेशिक शासन ने स्थानीय लोगों के लघु वनोपज एकत्र करने के अधिकारों को भी छीन लिया था ।
- इन आदिवासियों को जंगल से बेदखल करने के लिए, अंग्रेजों ने मद्रास वन अधिनियम, 1882 को लागू किया था। इससे आदिवासियों की स्वतंत्र आवाजाही पर प्रतिबंध लग गया था।
- आदिवासियों को जबरन वेट्टी, अर्थात अवैतनिक श्रम में लगाया जाता था ।
- अंग्रेजों द्वारा आदिवासियों पर किए जा रहे अत्याचार को रोकने के लिए अल्लूरी ने आत्मसमर्पण कर दिया था और 1924 में उन्हें फांसी दे दी गई थी ।
स्रोत – पी.आई.बी.