अल्पसंख्यकों की पहचान सुनिश्चित करने संबंधी जनहित याचिका
उच्चतम न्यायालय ने राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान सुनिश्चित करने संबंधी जनहित याचिका पर उत्तर प्रस्तुत करने के लिए केंद्र को अंतिम अवसर दिया है ।
- जनहित याचिका में राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान करने वाले दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए आवश्यक निर्देशों की मांग की गई है। याचिका के अनुसार देश के 10 राज्योंमें हिंदू अल्पसंख्यक हैं।
- याचिका में 6 राज्यों और 2 संघ राज्यक्षेत्रों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की भी मांग की गई है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार इन राज्यों और संघराज्यक्षेत्रों में हिंदुओं की आबादी में गिरावट दर्ज की गई है।
भारत में अल्पसंख्यक का दर्जा–
- संविधान अल्पसंख्यक शब्द को परिभाषित नहीं करता है। यह केवल अल्पसंख्यकोंको संदर्भित करता है। साथ ही, अल्पसंख्यकों के अधिकारों को अनुच्छेद 29 और 30 के तहत उल्लिखित किया गया है।
- हालांकि, केंद्र ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 का उपयोग करते हुए मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी को ‘अल्पसंख्यक’ घोषित किया है।
- टीएमए पाई वाद, 2002 में उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय दिया था कि भाषाई औरधार्मिक अल्पसंख्यकों का निर्धारण संपूर्ण देश की जनसंख्या को ध्यान में रखने की बजाय राज्य को एक इकाई के रूप में मानकर किया जाना चाहिए।
- अल्पसंख्यकों के शैक्षिक अधिकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिकसंस्था आयोग अधिनियम, 2004 में अधिनियमित किया गया था।
अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त करने के लाभ
- अल्पसंख्यक समुदाय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा संचालित विशेष योजनाओं से लाभान्वित होते हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 30(6) और कुछ अन्य उपबंधों के तहत शैक्षणिक संस्थानों और न्यासों के संचालन की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग (NCMEI)) के बारे में
- NCMEI का गठन राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग अधिनियम केतहत वर्ष 2004 में किया गया था। यह अल्पसंख्यक दर्जे से संबंधित विवादों के संबंध में एक अपीलीय प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।
- यह एक अर्ध-न्यायिक निकाय है। इसे दीवानी न्यायालय की शक्तियां प्रदान की गई हैं।
- इसे अधिनियम में निर्धारित किये गए आधारों पर किसी शैक्षणिक संस्थान के अल्पसंख्यक दर्जे को रद्द करने का अधिकार है।
स्रोत –द हिन्दू