अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले में दुर्लभ व्हाइट बेलीड हेरान का देखा जाना

अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ  जिले (Anjaw district) में दुर्लभ व्हाइट बेलीड हेरान (White-bellied Heron) का देखा जाना

हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले (Anjaw district) में लगभग 1200 मीटर की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में व्हाइट बेलीड हेरान (White-bellied Heron) पक्षी को देखा गया है। विदित हो कि व्हाइट बेलीड हेरान नामक यह दुर्लभ पक्षी सामान्य तौर पर इतनी अधिक ऊँचाई पर नहीं पाया जाता है, लेकिन इतनी अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में इस पक्षी का देखा जाना ही पर्यावरणविदों के लिए चर्चा का विषय हो गया है।

व्हाइट बेलीड हेरान (White-bellied Heron)

  • व्हाइट बेलीड हेरान (White-bellied Heron), एक पक्षी है जो सामान्य तौर पर हिमालय के कम ऊँचाई वाले दलदली क्षेत्रों में निवास करता है ।
  • इसका गला सफ़ेद रंग का और निचले हिस्से (under parts) गहरे भूरे रंग के होते हैं। भारत में इसे शाही बगुला (imperial heron) भी कहा जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN)ने वर्ष 2007 में इसेअपनी रेड लिस्ट में ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ (Critically Endangered) की श्रेणी में सूचीबद्ध किया था ।
  • भारत में इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की ‘अनुसूची IV’ में सूचीबद्ध किया है। यह संसार के सबसे दुर्लभ पक्षियों में एक है ।
  • यह मुख्यतः भूटान, म्यांमार व भारत के अरुणाचल प्रदेश में नामदफा टाइगर रिजर्व में पाया जाता है। इसके साथ ही इसे अरुणाचल प्रदेश के लोहित जिले के निकटवर्ती कमलांग टाइगर रिजर्व में भी देखा गया है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN)

  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (The International Union For Conservation Of Nature) संसार की पर्यावर्णीय स्थिति की रक्षा रखने के लिये एक वैश्विक प्राधिकरण है, इसकी  स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) का मुख्यालय स्विटज़रलैंड में स्थित है। यह सरकारों तथा नागरिक समाज दोनों से मिलकर बना एक संघ है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) का मुख्य लक्ष्य, विश्व की सबसे विकट पर्यावरण और विकास संबंधी चुनौतियों के लिए व्यावहारिक समाधान खोजने में सहायता करना है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) विश्व के विभिन्न संरक्षण संगठनों के नेटवर्क से प्राप्त जानकारी के आधार पररेड लिस्ट का निर्माण करता है, जो विश्व में सबसे अधिक संकटग्रस्त प्रजातियों का एक डेटा संग्रह है।

स्रोत – द हिन्दू

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