NGT द्वारा अरावली में अनियंत्रित खनन की पुष्टि
हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की एक रिपोर्ट ने अरावली में अनियंत्रित खनन की पुष्टि की है ।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण NGT) ने अरावली में अवैध खनन के विस्तार का पता लगाने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया था।
- इस समिति की रिपोर्ट में क्षेत्र में निषेधाज्ञा के बावजूद कई स्थानों पर खनन गतिविधि की सूचना दी गई है।
- सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद, गुरुग्राम और मेवात में अरावली पहाड़ियों में प्रमुख एवं गौण खनिजों के खनन पर प्रतिबंध लगाया था।
- यह प्रतिबंध पहले वर्ष 2002 में और फिर वर्ष 2009 में लगाया गया था।
- कोर्ट ने पहाड़ियों के पारंपरिक पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने के उद्देश्य से खनन को प्रतिबंधित किया था।
- इससे पहले, नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) ने भी अपनी रिपोर्ट में अरावली में पारिस्थितिक क्षरण के खतरनाक स्तर को उजागर किया था।
अरावली का महत्व–
- जलभृत (Aquifer) पुनर्भरणः अरावली से कई जलधाराएँ निकलती हैं। इसके अलावा, अपनी प्राकृतिक दरारों और विदरों (fissures) के साथ, अरावली पर्वत श्रृंखला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के सबसे महत्वपूर्ण जल पुनर्भरण क्षेत्र के रूप में कार्य करती है।
- जलवायुः मानसून के दौरान यह पर्वत श्रृंखला मानसून के बादलों को पूर्व की ओर निर्देशित करती है। इस प्रकार, यह श्रृंखला उप-हिमालयी नदियों को पोषित करने के साथ-साथ उत्तर भारतीय मैदानों के पोषण में भी मदद करती है। सर्दियों के महीनों में यह पर्वत श्रृंखला उपजाऊ जलोढ़ नदी घाटियों (सिंधु और गंगा) को मध्य एशिया से आने वाली ठंडी पश्चिमी पवनों से बचाती है।
- वन्यजीवः अरावली पर्वत श्रृंखला बड़ी संख्या में जंगली प्रजातियों का पर्यावास है। इसके क्षरण के साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष की संभावना बढ़ रही है।
अरावली के बारे में –
- भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत श्रृंखला मानी गई है और यह विश्व में भी प्राचीनतम है।
- यह लगभग 700 कि.मी. लंबी पर्वत श्रृंखला है। यह गुजरात से शुरू होकर राजस्थान और हरियाणा से होते हुए दिल्ली की रायसीना पहाड़ी पर समाप्त होती है।
- यह पर्वत श्रृंखला राजस्थान को उत्तर से दक्षिण दो भागों में बाँटती है। अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही ज़िले मेंगुरुशिखर(1727 मीटर) है, जो माउंट आबू में है।
- पिछले चार दशकों में खनन, वनों की कटाई और इसकी संवेदनशील एवं प्राचीन जल वाहिकाओं के अति-दोहन के कारण अरावली पर्वत श्रृंखला का क्षरण हो रहा है।
स्रोत – द हिन्दू