अरबिंदो की 150वीं जयंती
हाल ही में प्रधानमंत्री ने श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती मनाने के लिए उच्च स्तरीय समिति की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की।
श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती 15 अगस्त 2022 को है, और संयोगवश यह भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर के साथ मनाई जाएगी।
प्रधान मंत्री ने श्री अरबिंदो के ‘क्रांति’ और ‘विकास’ के दर्शन के दो पहलुओं एवं महामानव के निर्माण के लिए ‘नर से नारायण’ के विचार को भी रेखांकित किया।
महत्वपूर्ण योगदान –
- उन्होंने आध्यात्मिक विकास के माध्यम से संसार में पवित्र जीवन जीने के दर्शन का प्रतिपादन किया। इसके अलावा, ध्यान, भारतीय दर्शन और वेदों के महत्व पर भी बल दिया। इसलिए उन्हें योगी के रूप में भी जाना जाता है।
- वर्ष 1893 में उन्होंने राज्य सेवा अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की थीं।
- वर्ष 1902-1910 के मध्य, उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था। उन्हें अलीपुर बम षडयंत्र मामले में गिरफ्तार किया गया था।
- कारावास से मुक्त होने के बाद वे पांडिचेरी चले गए, जहाँ उन्होंने श्री अरबिंदो आश्रम (1926) की स्थापना की।
साहित्यिक कृतियाँ: आर्य (पत्रिका), बंदे मातरम (समाचार-पत्र), अन्य लेखनः दिव्य जीवन, सिंथेसिस ऑफ योगा एंड सावित्री, एसेज़ ऑन द गीता, ह्यूमन साइकिल, आइडल ऑफ ह्यूमनयूनिटी, ऑन द वेदा आदि।
उन्हें दो बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। वर्ष 1943 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार हेतु और 1950 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए।
स्रोत – द हिन्दू