अरबिंदो की 150वीं जयंती का आयोजन
- हाल ही में प्रधान मंत्री ने श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया है।
- श्री अरबिंदो का जन्म 15 अगस्त 1872 को कोलकाता में हुआ था । श्री अरबिंदो क स्वतंत्रता सेनानी, दार्शनिक और योगी थे।
- वे लंदन में भारत की स्वतंत्रता के लिए काम कर रहे एक गुप्त समाज (लोटस एंड डैगर) में शामिल हो गए थे ।
- भारत में वे बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ (III ) की राज्य सेवा में शामिल हुए थे। ‘बंगाल के विभाजन के बाद वे वर्ष 1906 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में शामिल हो गए थे।
- वे वर्ष 1910 तक राजनीति में सक्रिय रहे थे। आध्यात्मिक जागृति के कारण उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों को बंद कर दिया था तथा अपना शेष जीवन पुडुचेरी में बिताया था, जहाँ उनकी मृत्यु 05 दिसंबर 1950 में हो गई थी ।
श्री अरबिंदो का योगदान
- उन्होंने बंबई के एक दैनिक समाचार-पत्र ‘इंदु – प्रकाश’ में ‘न्यू लैम्प्स फॉर ओल्ड’ (1893) नामक एक लेख लिखा था ।
- इस लेख में उन्होंने कांग्रेस की नरमपंथी राजनीति की कटु आलोचना की थी ।
- उन्होंने बंदे मातरम (अंग्रेजी दैनिक), कर्मयोगिन (अंग्रेजी समाचार-पत्र ) और धर्म (बंगाली साप्ताहिक) नामक समाचार-पत्रों की शुरुआत की थी ।
- वे कांग्रेस के सूरत विभाजन (1907) के दौरान बाल गंगाधर तिलक के नेतृत्व वाले समूह में शामिल हुए थे।
- वर्ष 1908 में उन्हें अलीपुर बम कांड के मामले में गिरफ्तार किया गया था, किन्तु बाद में बरी कर दिया गया था।
अन्य योगदान ;
- उन्होंने वर्ष 1926 में मीरा अल्फासा के सहयोग से श्री अरबिंदो आश्रम की स्थापना की थी ।
- उन्होंने अस्सेस ऑन द गीता (1922), द लाइफ डिवाइन (1939) आदि आध्यात्मिक पुस्तकें लिखी थी।
स्रोत – पी.आई.बी.