अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने पलटा ‘रो बनाम वेड’ निर्णय
हाल ही में अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने गर्भपात के अधिकारों पर ऐतिहासिक ‘रो बनाम वेड’ (Roe v. Wade) निर्णय को पलट दिया है।
अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1973 के ‘रो बनाम वेड’ के उस ऐतिहासिक निर्णय को पलट दिया है, जिसने महिला के गर्भपात के अधिकार को संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया था।
वर्ष 1973 के निर्णय ने गर्भपात से संबंधित सुरक्षा को संस्थागत रूप भी प्रदान किया था।
इस फैसले का धार्मिक और जीवन समर्थक समूहों ने समर्थन किया है। वहीं अधिकारों के लिए लड़ने वालों ने इस निर्णय का विरोध किया है।
निर्णय विरोधियों के अनुसार इस निर्णय का अन्य अधिकारों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
यह निर्णय राज्यों द्वारा गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रक्रिया आरंभ करने का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
गर्भपात के अधिकार के पक्ष में तर्क–
- प्रजनन (नहीं) के लिए अपने शरीर की क्षमताओं के बारे में महिलाओं द्वारा ‘चुनने के अधिकार’ को सुरक्षित करता है।
- जनसंख्या, स्वास्थ्य और विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में यह सहायक है।
- भ्रूण के विकारों की पहचान करने में मदद करता है। साथ ही, गैर-कानूनी गर्भपात के खतरों से बचाता है।
गर्भपात के अधिकार के विरोध में तर्क–
- लिंग निर्धारण के लिए प्रौद्योगिकियों के दुरूपयोग से जुड़े नैतिक मुद्दे शामिल हैं।
- बलपूर्वक और जबरन नसबंदी के खतरों को बढ़ाता है।
- गर्भपात का अधिकार बच्चों के जीवन के अधिकार के अलावा भ्रूण और जीवन की रक्षा के राज्य के दायित्व के भी खिलाफ है।
गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) नियम, 2021
- कुछ श्रेणियों की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति प्रदान की गई है।
- 20 सप्ताह के भीतर गर्भपात के लिए 1 चिकित्सक की सलाह और 20-24 सप्ताह के भीतर गर्भपात के लिए 2 चिकित्सक की सलाह लेना जरूरी है।
- राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड भ्रूण में असाधारण विकृतियों के मामलों में 24 सप्ताह से अधिक के गर्भपात की अनुमति दे सकता है (या अस्वीकार कर सकता है)।
स्रोत –द हिन्दू